फालतू बात मत करिए, फरियादी पर भड़के सीएम नीतीश कुमार, कहा-स्‍पीच देने से कुछ नहीं होगा

मुख्‍यमंत्री के जनता दरबार में दूर-दूर से फरियादी पहुंचे हैं। एक-एक की शिकायतें सुनकर सीएम नीतीश कुमार कार्रवाई के आदेश दे रहे हैं। इस दौरान कुछ मामले ऐसे भी रहे जिन्‍हें सुनकर मुख्‍यमंत्री चिढ़ गए। फरियादी को हिदायत दे डाली।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 01:26 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 01:26 PM (IST)
फालतू बात मत करिए, फरियादी पर भड़के सीएम नीतीश कुमार, कहा-स्‍पीच देने से कुछ नहीं होगा
जनता दरबार में फरियाद सुनते सीएम नीतीश कुमार। फोटो-साभार आइपीआरडी

पटना, आनलाइन डेस्‍क। मुख्‍यमंत्री के साप्‍ताहिक जनता दरबार में दूर-दूर से फरियादी पहुंचे हैं। शिकायतों के तुरंत निपटारे का आदेश सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) दे रहे हैं। बताया गया है कि इस दौरान सीएम करीब 150 लोगों की फरियाद सुनेंगे। जनता दरबार में एक वाकया ऐसा हुआ, जिससे सीएम चीढ़ गए। उन्‍होंने फरियादी को हिदायत दे दी कि फालतू बात मत करिए। स्‍पीच देने से कुछ नहीं होगा। सीएम के इतना कहते ही युवक अपनी बात पर आ गया। 

प्राइवेट कोचिंग में पढ़ने के लिए की सरकारी मदद की मांग 

गया जिले के शेरघाटी से आए युवक ने बताया कि वह सिविल सर्विसेज (Civil Services) की तैयारी करना चाहता। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इसके बाद उसने सिलसिलेवार तरीके से अपनी बातें रखनी शुरू कर दी। इसपर सीएम ने उसे टोका।आपकी समस्‍या क्‍या है ये बताइए, स्‍पीच देने से कुछ नहीं होगा। तब उसने कहा कि वह प्राइवेट को‍चिंग में तैयारी करना चाहता। इसके लिए सरकारी सहायता दें। इतना सुनते ही सीएम ने कहा कि फालतू बात मत करिए। प्राइवेट कोचिंग में नहीं पढ़ पा रहे तो हम क्‍या करें। प्राइवेट कोचिंग के लिए सरकारी मदद का कोई प्रविधान नहीं है। सरकार ने जो तय कर रखा है, उसी के अनुरूप काम हो सकता है। प्रविधान रहेगा तब न कोई बात होगी। 

कुसहा त्रासदी के बाद अब तक नहीं बना पुल 

एक आवेदक ने बताया कि 2008 में कुसहा में आई भीषण बाढ़ (Kusaha Flood) में त्रिवेणीगंज में एक पुल टूट गया था। आज तक वह नहीं बना है। यह सुनकर सीएम हैरान रह गए। उन्‍होंने प्रधान सचिव को बुलाया। पूछा कि ऐसा क्‍यों हुआ। इसके लिए जो जिम्‍मेदार है, उसे चिह्नित करिए। यह काफी संवेदनशील स्थिति है। मुख्‍य सचिव से इसपर चर्चा करिए। जरूरत हो तो बैठक कर‍िए। हमने कर्ज लेकर एक-एक काम कराया। फिर यह कैसे रह गया। 

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