एंटीबायोटिक का दुरुपयोग लेगा हर वर्ष एक करोड़ जान
सर्दी-खांसी व बुखार में जल्द आराम को अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक दवा खाने या डाक्टरों के निर्देशों की अनदेखी कर फायदा होते ही बिना पूरा कोर्स किए बंद करने की प्रवृत्ति आने वाले समय में बड़ी समस्या बनने वाली है।
पटना । सर्दी-खांसी व बुखार में जल्द आराम को अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक दवा खाने या डाक्टरों के निर्देशों की अनदेखी कर फायदा होते ही बिना पूरा कोर्स किए बंद करने की प्रवृत्ति आने वाले समय में बड़ी समस्या बनने वाली है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की चेतावनी मानें तो 2050 तक दुनिया में एक करोड़ लोगों की मौत सिर्फ इसलिए होगी क्योंकि वायरल-बैक्टीरियल इंफेक्शन पर अधिकतर एंटीबायोटिक निष्प्रभावी हो जाएंगी। यदि आज से ही डाक्टरों, दवा विक्रेताओं और आमजन से एंटीबायोटिक का दुरुपयोग बंद नहीं किया तो ऐसे हालात और पहले भी आ सकते हैं। गत 20 वर्ष से कोई नई एंटीबायोटिक नहीं बनी है, ऐसे में इलाज मुश्किल हो जाएगा।
ये बातें मंगलवार को एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस सप्ताह के अवसर पर आइजीआइएमएस में निकाली गई जागरूकता रैली में फार्माकोलाजी विभाग के डा. हितेश मिश्र ने कहीं।
फार्माकोलाजी के विभागाध्यक्ष प्रो. डा. हरिहर दीक्षित, डा. ललित मोहन, डा. हितेश मिश्र, डा. सुकल्याण साह राय, डा. आदिल अली शकूर और विभागीय रेजिडेंट के नेतृत्व में एमबीबीएस द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं ने नुक्कड़ नाटक का भी मंचन किया। चार बातों का ध्यान
रखना है जरूरी
डा. हितेश मिश्र ने बताया कि हर वर्ष 18 से 24 नवंबर तक विश्व स्वास्थ्य संगठन एंटीबायोटिक रजिस्टेंस सप्ताह मनाता है। इस वर्ष का विषय स्प्रेड अवेयरनेस, स्टाप रजिस्टेंस रखा गया है। इसका उद्देश्य डाक्टरों और आमजन को एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की जानकारी देना है। वायरल बुखार जैसे मर्ज, जिनमें एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं है, जल्द राहत को अपनी मर्जी से उनका इस्तेमाल नहीं करें। दूसरा, भले ही एंटीबायोटिक की एक या दो डोज से आराम हो जाए, डाक्टर की बताई अवधि तक उनका इस्तेमाल करें। ऐसा नहीं करने से वायरस या बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का पूरा असर नहीं होता और बार-बार ऐसा करने से वह निष्प्रभावी हो सकती है। इसके अलावा बीमारी से बचने को अपने आसपास साफ-सफाई रखें और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करते हुए पौष्टिक आहार लें। रोगों से बचाव को अब वयस्कों और बुजुर्गों के लिए भी वैक्सीन आ गई है, बेहतर होगा लोग उनका इस्तेमाल करें। ऐसा नहीं करने से जिस प्रकार हाल में रामबाण मानी जाने वाली महंगी कार्बापिलैम एंटीबायोटिक इंजेक्शन निष्प्रभावी हो गए हैं, अन्य दवाएं भी हो जाएंगी। नई दवाएं नहीं बनने के साथ पुरानी दवाओं में कई संशोधन हो चुके हैं। इससे हाल में किसी नई क्लास की एंटीबायोटिक आने की उम्मीद नहीं है।