बिहारः लॉकडाउन में कर्जदारों को किस्त भरना हुआ मुश्किल, कम पैसे लेने वाले अधिक परेशान

बैंक ऐसे लोगों को व्यापार बढ़ाने और ठेला-दुकान खरीदने के लिए आसानी से 10-15 हजार रुपये तक कर्ज दे देते हैं। बाद में उसकी साप्ताहिक किस्त बांध दी जाती है इससे कर्ज चुकाने में भी परेशानी नहीं होती है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 03:41 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 03:41 PM (IST)
बिहारः लॉकडाउन में कर्जदारों को किस्त भरना हुआ मुश्किल, कम पैसे लेने वाले अधिक परेशान
लॉकडाउन के दौरान छोटा कर्ज चुकाना ज्यादा मुश्किल हो रहा। प्रतीकात्मक तस्वीर।

संवाद सहयोगी, डुमरांव (बक्सर) : ठेला चला कर जीवन यापन करने वाला मनोहर बंधन बैंक से छोटा कर्ज लिया है। उस कर्ज की राशि में बनाई गई किस्त को वह हर गुरुवार को बैंक कर्मी के समक्ष जमा करते हैं। बैंक कर्मी प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को उसके घर आकर किस्त ले जाते हैं। मनोहर के कमाई और खर्च के बीच इस बात का पूरा तालमेल रहता है कि गुरुवार को बैंक के किस्त की राशि भी जमा हो सके लेकिन, लॉकडाउन के इस समय में बाजार बंद रहने तथा काम धंधा प्रभावित होने से मनोहर को बैंक का निर्धारित किस्त देने में दिक्कत आने लगी है।

उधर, बैंक स्टाफ है कि नियमों का हवाला देकर साप्ताहिक किस्त के पैसे का लगातार डिमांड कर रहे हैं। ऐसे में मनोहर भागा-भागा फिर रहा है। यह समस्या सिर्फ एक मनोहर की नहीं है। डुमरांव और आसपास के ग्रामीण इलाकों में हजारों मजदूर लोगों के साथ यह समस्या सामने आ खड़ी हुई है। लॉकडाउन निश्चित रूप से आर्थिक ताना-बाना को छिन्न-भिन्न कर दिया है। ऐसे में सप्ताहिक किस्त की राशि देने में मजदूर एवं समूह के लोगों को परेशानी हो रही है। दरअसल, ये बैंक ऐसे लोगों को व्यापार बढ़ाने और ठेला-दुकान खरीदने के लिए आसानी से 10-15 हजार रुपये तक कर्ज दे देते हैं। बाद में उसकी साप्ताहिक किस्त बांध दी जाती है, इससे कर्ज चुकाने में भी परेशानी नहीं होती है। जिले में तकरीबन 10 से 15 हजार ऐसे छोटे कर्जदार हैं, जो पैसे समय से चुकाते हैं, जिससे आगे भी उन्हें आसानी से कर्ज मिल जाए। अभी लॉकडाउन में धंधा बंद या मंदा पडऩे से साप्ताहिक किश्त नहीं चुका पा रहे हैं।

समूह का गठन कर दिया गया है लोन

गरीब मजदूर किसान बंधन एवं उसके जैसे अन्य छोटे-छोटे बैंकों से लोन लेकर मकान निर्माण दुकानदारी बेटा बेटी की शादी पढ़ाई लिखाई या फिर अन्य ठोस काम कर चुके हैं। इस पैसे की भरपाई ब्याज समेत साप्ताहिक दिन को किया जाता है। लोन लेने वाला व्यक्ति अपने आय और व्यय में यह सामंजस्य जरूर रखता है कि सप्ताह के निर्धारित दिन पर बैंक कर्मी के घर आने पर पैसा दिया जा सके। समाजसेवी डॉ. अब्दुल रशीद हाशमी का कहना है कि इस बुरे हालात में बैंक कर्मियों को अपने ऋण धारकों को राहत देनी चाहिए तथा जबरदस्ती राशि वसूली पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री और जिला पदाधिकारी से भी इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है ताकि गरीबों को राहत मिल सके। 

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