Dhanteras 2021: धनतेरस पर सुबह से रात तक बन रहे कई शुभ मुहूर्त, पूजा के लिए शाम का समय बेहतर
Dhanteras 2021 Puja Muhurat Time कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि मंगलवार दो नवंबर को धनतेरस व चार नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर माता लक्ष्मी के साथ आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा विधि-विधान से की जाएगी।
पटना, जागरण संवाददाता। Dhanteras 2021 Date and Muhurt: सनातन धर्मावलंबियों के लिए धनतेरस और दीवाली का त्योहार काफी महत्वपूर्ण है। धनतेरस के मौके पर खरीदारी करने को शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदारी करने और पूजा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य प्राप्त होता है। इस बार धनतेरस पर खरीदारी और पूजा-अर्चना के लिए कई शुभ और विशेष फल देने वाले मुहूर्त बन रहे हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि, मंगलवार दो नवंबर को धनतेरस व चार नवंबर को दीपावली मनाई जाएगी। धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर, माता लक्ष्मी के साथ आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा विधि-विधान से की जाएगी।
सूर्योदय के बाद से रात तक मनाया जाएगा पर्व
पटना के आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि मंगलवार को सूर्योदय त्रिपुष्कर व सिद्ध योग में होगा। जो सुबह 8.35 मिनट तक रहेगा। आचार्य के अनुसार उक्त योग में सूर्योदय होने से इसका प्रभाव पूरे दिन बना रहेगा। ऐसे में इस दौरान खरीदारी शुभ होगी। इसी योग में धनतेरस का पर्व भी मनाया जाएगा।
धनतेरस पर पूरे दिन शुभ होगी खरीदारीधनतेरस पर ग्रह-गोचरों का बन रहा शुभ संयोग
ज्योतिष आचार्य पीके युग ने बताया कि इसी दिन समुद्र मंथन के दौरान धन्वंतरि हाथ में कलश लिए प्रकट हुए थे। इस दिन यानी धनतेरस पर बर्तन, सोने-चांदी आदि खरीदने की परंपरा है। इस दिन झाडृू की खरीदारी करने से दरिद्रता का नाश होता है। साथ ही समृद्धि आती है। तिल तेल का दीपक घर के बाहर दक्षिण मुख रखने से काल संकट, रोग, शोक, भय ,दुर्घटना, अकाल मृत्यु से बचाव होता है। ज्योतिष आचार्य की मानें तो धनतेरस पर ग्रह गोचरों का शुभ संयोग बनने के कारण पूरे दिन खरीदारी कर सकते हैं।
खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त यहां जानें
धनतेरस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
धनतेरस के मौके पर पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम को बन रहा है। विशेष फल प्राप्ति के लिए प्रदोष काल व वृष लग्न में शाम 6.00 बजे रात्रि 7.57 बजे तक पूजा करना श्रेयस्कर है। पूजा में मन और साधन की शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।