देसी संस्कृति ने बिहारियों का जीता दिल

गुरुवार की शाम बापू सभागार के मंच पर उत्तर-पूर्वी राज्यों की कला का संगम देखने को मिला

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 01:29 AM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 01:29 AM (IST)
देसी संस्कृति ने बिहारियों का जीता दिल
देसी संस्कृति ने बिहारियों का जीता दिल

पटना। गुरुवार की शाम बापू सभागार के मंच पर उत्तर-पूर्वी राज्यों की कला का संगम देखने को मिला। मंच से आठ राज्यों के सैकड़ों कलाकारों ने अपनी संस्कृति की खूशबू बिखेरनी शुरू की तो बापू सभागार में उपस्थित हजारों लोगों ने बिहारी अंदाज में सिटी और ताली बजाकर उनका जोरदार स्वागत किया। मौका था पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र कोलकाता, भारत सरकार और कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार की ओर से आयोजित सांस्कृतिक महोत्सव ऑक्टेव 2019 का। बिहार में पहली बार 2008 में गांधी मैदान में इस महोत्सव का आयोजन किया गया था। 11 साल बाद इस आयोजन का मौका बिहार को दूसरी बार मिला है। कार्यक्रम की शुरुआत में सभी राज्यों के कलाकार अपनी वेश-भूषा, तबला, ढोल, नगाड़ा, बांसुरी, तलवार, ढाप के साथ जैसे ही मंच पर आये लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जैसे मानो सभी को बस इसी पल का इंतजार था। मेघालय की टीम तलवारों के साथ दिखाई जबरदस्त प्रस्तुति

मेघालय टीम के लीडर एंड्रियास ने 11 सदस्यों के टीम के साथ खासी समुदाय का एक प्राचीन युद्ध नृत्य प्रस्तुत किया। इसमें कलाकारों ने तलवार के साथ अपनी संस्कृति को दिखाने की कोशिश की, जिसमें वे अपने पूर्वजों के सम्मान में नृत्य करते नजर आये। इसमें दिखाया गया कि समुदाय की महिलाओं ने लोक के सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए अपना जीवन लगा दिया। त्रिपुरा के कलाकारों ने मामीता डांस कर नई नई फसल का किया स्वागत

त्रिपुरा की 15 लोगों की टीम में लीडर सुरजित देब्बरमा ने मामीता थीम पर डांस कर वहां की संस्कृति को दिखाया। इसमें उन्होंने नई फसल का स्वागत किया, जिसमें पूरे गांव के लोगों को आमंत्रण दिया जाता है। इस उत्सव में माइलुमा और खुलोमा देवी की पूजा की जाती है। देवियों को चावल चढ़ाया जाता है। पुराने जमाने की किसानी को अरुणाचल प्रदेश की टीम ने दिखाया

अरुणाचल प्रदेश से आई टीम ने रिकमपादा थीम पर ग्रामीण किसानों को खेती करते हुए दिखाया, जिसमें दिखाया गया कि पहले के लोग खेती करते थे और दिनभर मस्ती में गुजार देते थे। इनके टीम लीडर लिखायाथ थे। बोरा जनजाति का दिखा अद्भुत लोकनृत्य

असम से आई टीम ने बोरदोईसिखला थीम पर डांस कर लोगों का दिल जीत लिया। टीम लीडर राजीव गोयारी के नेतृत्व में इनकी टीम ने बोरा जनजाति का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। इसमें दिखाया गया कि यहां के लोग हवा, पानी और प्रकृति को देवता मानते हैं। इन सब चीजों को जोड़कर एक लड़की के रूप में नृत्य का जन्म को दिखाया गया। इस डांस को महिला कलाकारों ने खुले बालों में पेश किया। नागालैंड की खुशहाल खेती ने मोहा मन

नागालैंड की टीम लीडर नजनबेनी ने अपनी 15 लोगों की टीम के साथ डांस थीम मुंगयंता हार्वेस्ट पर डांस किया। इसमें वहां के धनी लोगों की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इसमें दिखाया गया कि नागालैंड वालों को खेती से बहुत कुछ मिला है। इसके साथ ही उन्होंने अपनी एकता को भी दिखाने की कोशिश की। तलवारबाजी के कतरब ने चौंकाया

मणिपुर की येनिंग परफॉरमिंग आर्ट सेंटर की टीम ने जब तलवार बाजी का कतरब दिखाना शुरू किया तो लोग भौचक्के रह गए। द्वारा टीम लीडर एल जैक्सन के नेतृत्व में दो थीम पर डांस की प्रस्तुति दी गई। इसमें पहला लाईहरोबा और दूसरा था थांगटा। इसमें कंबाइंड डांस को दिखाया गया। फाइटिंग, आत्मरक्षा और तलबारबाजी दिखाई गई। रामायण की झलक दिखा गया कुशन नृत्य

असम से आई दूसरी टीम ने कुशन डांस पर लोक नाट्य की प्रस्तुति दी। इसमें लोक संगीत के गायन, संवाद, अभिनय और साथ में नृत्य का संगम दिखाया गया, जिसमें रामायण की झलक देखने को मिली। मुंबई के कोरियोग्राफर के नेतृत्व में प्रदर्शन

विभिन्न राज्यों से आए कलाकार मुंबई के कोरियोग्राफर देवेंद्र शेला एवं अश्विनी ने टीम की कोरियोग्राफी की। मुंबई से लाइट डिजाइनर अरूण मड़कईकर और साउंड सिस्टम के लिए मुंबई के कैलाश कदम ने भरपूर मेहनत की।

मनोरंजन के साथ लोगों ने की खरीदारी

सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद उठाने के बाद लोगों ने परिसर में लगे स्टॉल से अरुणाचल प्रदेश का हैंडलूम, ज्वैलरी, बांस, आसाम का हैंडलूम, मेघालय का हैंडीक्राफ्ट, सिक्किम का ऊलेन, मेघालय का कौउना क्राफ्ट की खरीदारी की।

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