वायरल थमा, अब बढ़ सकते हैं डेंगू के मरीज
वायरल बुखार के नए मामलों में कमी आते ही अब डेंगू संक्रमण की संख्या तेजी से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। एम्स पटना के कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार के अनुसार सामान्यत देखा गया है कि किसी व्यक्ति को एक समय में एक ही वायरस संक्रमित करता है।
पटना । वायरल बुखार के नए मामलों में कमी आते ही अब डेंगू संक्रमण की संख्या तेजी से बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। एम्स पटना के कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. संजीव कुमार के अनुसार सामान्यत: देखा गया है कि किसी व्यक्ति को एक समय में एक ही वायरस संक्रमित करता है। ऐसे में कोरोना व वायरल संक्रमण के मामलों में कमी आने के साथ ही डेंगू के मामले बढ़ सकते हैं। बताते चलें कि प्रदेश में गत दस वर्षों में सितंबर व अक्टूबर माह में सर्वाधिक डेंगू रोगी मिले हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अबतक जिले में डेंगू के 41 मामले सामने आए हैं। ये वे मामलें हैं जो एम्स, आरएमआरआइ, पीएमसीएच की माइक्रोबायोलाजी विभाग में एलाइजा विधि से जांच में पाजिटिव मिले हैं।
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निजी लैब में भीड़,
सरकारी में मरीज नहीं :
तेज बुखार होने पर अधिकतर लोग नजदीकी फिजिशियन से इलाज कराते हैं। ये डाक्टर डेंगू एंटीजन के साथ कंप्लीट ब्लड काउंट की जांच कराते हैं और उससे प्लेटलेट्स काउंट्स देखकर दवाएं देते हैं। रोगी इससे स्वस्थ हो रहे हैं और उन्हें दो हजार रुपये में एलाइजा विधि से जांच भी नहीं करानी पड़ रही है। चूंकि, इसकी सूचना जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं मिलती है, इसलिए उन्हें डेंगू के सही मामलों की जानकारी नहीं होती है। नतीजा, डेंगू प्रभावित क्षेत्रों में फागिग और एंटी लार्वासाइड्स छिड़काव नहीं किया जाता। वहीं निजी लैबों में इतनी बड़ी संख्या में बुखार पीड़ित जांच कराने पहुंच रहे हैं कि प्रतिष्ठित पैथोलाजी ने इसके लिए विशेष पैकेज तक बना दिए हैं। तीन प्रतिष्ठित लैब के संचालकों ने बताया कि हर दिन औसतन दो सौ लोग डेंगू, मलेरिया, टायफाइड, चिकनगुनिया, कोरोना, सीबीसी, ईएसआर, सीआरपी व यूरीन रूटीन व कल्चर कराने आते हैं। इनमें से 50 से 60 लोगों में डेंगू पाजिटिव मिल रहा है। पटनासिटी, गायघाट, कंकड़बाग, खाजेकला, ट्रांसपोर्ट, राजीव नगर, मंदिरी, दीघा, फुलवारीशरीफ, पाटलिपुत्र आदि मोहल्लों के लोग ज्यादा है।
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सर्विलांस की कमी को
मान रहे स्ट्रेन कमजोर
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार 2019 के बाद लगातार दूसरे वर्ष डेंगू संक्रमण काफी कमजोर है। यही कारण है कि अभी तक डेंगू के गंभीर रोगी बड़े अस्पताल नहीं पहुंचे हैं। कमजोर स्ट्रेन के कारण इस वर्ष डेंगू सर्विलांस पर अधिक ध्यान नहीं दिया जा रहा है। वहीं, डा. संजीव के अनुसार यदि वायरस का स्ट्रेन कमजोर भी है तब भी कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वालों या खुद से एंटीबायोटिक आदि खाने वालों की हालत बिगड़ सकती है।