बिहार पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन की मांग-जीएसटी के दायरे में लांए पेट्रोल-डीजल, 25 फीसद बढ़े कमीशन
पेट्रोल और डीजल का मूल्य सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसलिए अब जरूरी हो गया है कि इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इससे कीमतों में 30 फीसद की कमी आएगी और बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।
जागरण संवाददाता, पटना: पेट्रोल और डीजल का मूल्य सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है। इसलिए अब जरूरी हो गया है कि इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इससे कीमतों में 30 फीसद की कमी आएगी और बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। बिहार पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने कहा है कि पेट्रोल-डीजल पर मिलने वाले डीलर कमीशन में भी 25 फीसद की वृद्धि करने की जरूरत है क्योंकि डीलरों को अब तेल खरीदने के लिए बड़ी पूंजी लगानी पड़ रही है।
जीएसटी के दायरे में लाने से ही मिलेगी राहत
एसोसिएशन के महासचिव बिजयेंद्र कुमार सिंहा ने कहा है कि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये के पार पहुंच गई है। डीजल की कीमत 100 रुपये लीटर होने के करीब है। ऐसे में दो-चार रुपये की राहत भी अगर सरकार देती है तो महंगाई नियंत्रित नहीं हो सकेगी। इसका एक ही उपाय है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। इससे कीमतों में 30 फीसद की राहत मिलेगी।
बढ़े डीलर कमीशन
इस समय डीजल की बिक्री पर 2.20 रुपये, और पेट्रोल पर 3.32 रुपये प्रति लीटर डीलर कमीशन मिलता है। जब यह कमीशन तय हुआ था तो 12 हजार लीटर तेल टैंकर का मूल्य सात से आठ लाख रुपये होता था। सिंहा ने कहा कि इस समय 12 हजार लीटर वाले एक टैंकर डीजल के लिए हमें 11 लाख 19 हजार 235 रुपये, और पेट्रोल टैंकर के लिए 12 लाख 8115 रुपये का भुगतान करना पड़ रहा है। स्पष्ट है कि हमें एक टैंकर की तेल खरीदने में पूर्व की अपेक्षा चार लाख रुपये से अधिक की पूंजी लगानी पड़ रही है। डीलर कमीशन जब तय हुआ था तो कहा गया था कि हर छह माह बाद कीमतों मेें वृद्धि की समीक्षा होगी और कमीशन बढ़ाया जाएगा। लेकिन न तो कीमतों की समीक्षा हो रही है, न ही कमीशन में वृद्धि हो पा रही है। बिजयेंद्र कुमार सिंहा ने कहा कि हमारी मांग है अति शीघ्र मार्जिन मनी में 25 फीसद की वृद्धि की जाए।