अस्पतालों की भीड़ दे रही कोरोना को मौका

दूसरी लहर समाप्ति की ओर है। सरकार तीसरी लहर की रोकथाम के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेने के साथ मास्क शारीरिक दूरी और हाथ धोने के नियम में लापरवाही नहीं करने की अपील कर रही है। वहीं दूसरी ओर राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में उमड़ रही भीड़ खतरे को निमंत्रण दे रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 02:40 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 02:40 AM (IST)
अस्पतालों की भीड़ दे रही कोरोना को मौका
अस्पतालों की भीड़ दे रही कोरोना को मौका

पटना । दूसरी लहर समाप्ति की ओर है। सरकार तीसरी लहर की रोकथाम के लिए वैक्सीन की दोनों डोज लेने के साथ मास्क, शारीरिक दूरी और हाथ धोने के नियम में लापरवाही नहीं करने की अपील कर रही है। वहीं दूसरी ओर राजधानी के बड़े सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में उमड़ रही भीड़ खतरे को निमंत्रण दे रही है। यहां कोरोना बचाव के हर नियम की अनदेखी की जाती है। पीएमसीएच के अधीक्षक से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने काल रिसीव नहीं की। पीएमसीएच की ओपीडी में आजकल औसतन दो हजार से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें आधे से अधिक रोगी सिर्फ चार से पांच प्रमुख विभागों के होते हैं। पंजीयन और उसके बाद अपने नंबर की प्रतीक्षा के लिए समुचित जगह नहीं होने के कारण रोगी एक-दूसरे सटकर खड़े रहने को विवश होते हैं। चर्म रोग विभाग के बाहर तो सड़क तक ऐसी कतार देखी जा सकती है। हड्डी, सर्जरी विभागों के पास प्रतीक्षालय है लेकिन वह भी रोगियों के लिए कम पड़ता है। यही हाल लगभग सभी विभागों का है। डाक्टर से परामर्श के बाद दो दवा काउंटर पर भी चार कतार लगी रहती हैं। यहां भी घंटों कोरोना से बचाव के शारीरिक दूरी नियम की धज्जियां उड़ती हैं। इनसेट :

ट्राली है पर रोगियों को नहीं मिलती सुविधा पटना : पीएमसीएच में तमाम सुविधाएं हैं लेकिन रोगियों को आसानी से मिलती नहीं है। हर दिन परिसर में कई स्वजन अपने गंभीर मरीजों को गोद में उठाकर जांच कराने या वहां से लाते हुए दिख जाते हैं। प्रशासन के संज्ञान में मामला आने पर कहा जाता है कि लोग नियंत्रण कक्ष से ट्राली मांगने के बजाय खुद रोगी को गोद में टांग कर जांच कराने ले जाते हैं। वहीं, बुधवार को हथुआ वार्ड में भर्ती महिला मरीज की जांच करा गोद में ला रहे पुत्र ने बताया कि बार-बार कहने के बावजूद घंटों ट्राली वाला नहीं आया, ऊपर से नर्स और गुस्सा हो गई। ऐसे में मजबूरी में यूरीन बैग के साथ मां को गोद में उठाकर अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलाजी विभाग ले गए। जांच के बाद भी ट्राली की बाबत पूछा तो बताया गया कि जहां रोगी भर्ती है, वहीं जाकर नर्स से कहें तो वे किसी को भेजेंगी।

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