पटना में ब्लैक फंगस रोगियों के लिए चाहिए 18 सौ इंजेक्शन, मिल रहे पांच सौ; मरीजों की जान पर आफत
Black Fungus Cases in Bihar आइजीआइएमएस व एम्स पटना के डाक्टरों के अनुसार एक रोगी को हर दिन न्यूनतम छह और गंभीर रोगियों को 12 डोज तक की जरूरत होती है। वर्तमान में प्रदेश में तीन सौ से अधिक मरीज विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं।
पटना, जागरण संवाददाता। Black Fungus Cases in Bihar: ब्लैक फंगस रोगियों को लंबे समय तक एंटीफंगल थेरेपी पर रखा जाता है। जो मरीज सर्जरी के बाद डिस्चार्ज हो चुके हैं, उन्हें भी करीब डेढ़ माह तक लाइपोसोमल एंफेटेरेसिन-बी दवा की जरूरत पड़ती है। आइजीआइएमएस व एम्स, पटना के डाक्टरों के अनुसार, एक रोगी को हर दिन न्यूनतम छह और गंभीर रोगियों को 12 डोज तक की जरूरत होती है। वर्तमान में प्रदेश में तीन सौ से अधिक मरीज विभिन्न अस्पतालों में भर्ती हैं। ऐसे में हर दिन 18 सौ से अधिक वाइल की जरूरत हर दिन है।
विगत सात दिन में तीन बार पांच-पांच सौ वाइल इंजेक्शन आया है जो 80 से 85 मरीजों को ही दिए जा सकते हैं। नतीजा, हर खेप आने के साथ बहुत से मरीजों को अगली बार देने का आश्वासन देकर शांत कराया जाता है। वहीं, इसके विकल्प के रूप में सरकार ने जो पोसाकोनाजोल टैबलेट मुहैया कराई थी, वह भी दोबारा अस्पतालों को मुहैया नहीं कराई है।
एम्स ने श्रीलंका से मंगवाई 21 सौ डोज
अनियमित दवा आपूर्ति से अस्पताल में भर्ती सौ से अधिक ब्लैक फंगस रोगियों का उपचार बाधित होने से परेशान होकर एम्स, पटना प्रबंधन ने अपने स्तर से दवा उपलब्धता के प्रयास किए। इसमें उसे सफलता भी मिली और उसे श्रीलंका से 21 सौ वाइल लाइपोसोमल एंफेटेरेसिन-बी इंजेक्शन मिल गए। इससे सरकार को कुछ राहत हुई, लेकिन भारत सरकार से दवा इतनी कम मिल रही है कि वह सेंटर आफ एक्सीलेंस घोषित आइजीआइएमएस को भी पर्याप्त दवा उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। हालांकि, पांच सौ वाइल में से आइजीआइएमएस को कभी चार सौ तो कभी 350 वायल दवा उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं पीएमसीएच, एनएमसीएच, जेएलएनएमसीएच, विम्स पावापुरी और एसकेएमसीएच में भर्ती मरीजों की हालत और खराब है।
छह सौ रोगियों के लिए अब तक मिले करीब छह हजार वायल
ब्लैक फंगस संक्रमण को दस्तक दिए करीब एक माह बीत गया है। इस बीच भारत सरकार ने 11 बार में करीब 6 हजार वाइल ही लाइपोसोल एंफेटेरेसिन-बी इंजेक्शन की आपूर्ति की। जब तक सरकार के पास कालाजार के उपचार के लिए आई 14 हजार वायल मौजूद थीं, रोगियों को नियमित रूप से हर दिन छह से 12 डोज मिल रही थीं। केंद्र से आपूर्ति पर निर्भरता बढऩे के बाद से किसी रोगी की एंटीफंगल थेरेपी नियमित रूप से नहीं चल सकी।
आवंटन निर्धारण करने वाली सहायक औषिध नियंत्रक पटना ग्रामीण कमला रानी ने कहा कि इंजेक्शन आने के बाद अगले दिन उसे रोगियों को उपलब्ध करा दिया जाता है। हमारे लिए सभी मरीज समान हैं, ऐसे में कम उपलब्धता के कारण कई सामान्य रोगियों को अगली खेप आने तक इंतजार करने को कहा जाता है।