बिहारः कचइनियां से दूर भागता है कोरोना, 77 साल पहले विनोबा भावे के वरदान से बदल गई आबोहवा
बिहार के बक्सर में एक ऐसा गांव है जहां अबतक कोरोना नहीं पहुंचा। लगभग 77 साल पहले भूदान आंदोलन के प्रणेता संत विनोबा भावे ने बक्सर जिले के कचइनियां गांव को विशाल वन का वरदान दिया था। गांव वाले भी सजग हैं अन्य लोगों को सचेत कर रहे हैं।
रंजीत कुमार पांडेय, डुमरांव (बक्सर): लगभग 77 साल पहले भूदान आंदोलन के प्रणेता संत विनोबा भावे ने बक्सर जिले के कचइनियां गांव को विशाल वन का वरदान दिया था। वर्तमान में विनोबा वन के नाम से विख्यात इसी वन की देन है कि गांव कोरोना से मुक्त है। अबतक गांव का कोई भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ। सतर्कता, संयम, योग और अनुशासन के मंत्र से गांव के लोगों ने अबतक खुद को इस खतरनाक बीमारी से महफूज रखा है।
पुराने वृक्षों से गांव की आबोहवा शुद्ध
करीब साढ़े चार हजार आबादी वाला का यह गांव दो वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है। आसपास के गांवों में कोरोना दस्तक दे चुका है, लेकिन इस गांव की स्थिति अलग है। दरअसल, विनोबा भावे वर्ष 1954 में कचइनियां गांव आए थे और यहां के सुनसान कंचनेश्वर मंदिर के प्रांगण में कई वर्षों तक प्रवासी बनकर रहे। इस दौरान इन्होंने भूदान में डुमरांव राज परिवार से कुल 42.91 एकड़ भूमि अर्जित की और उसे वन में तब्दील कर दिया। बाद में कचइनियां मठियां के महंत ने भी 56.12 एकड़ भूमि भूदान में दी। इस विशाल भू-भाग पर शीशम, सागवान, अशोक, पीपल और बरगद जैसे हजारों वृक्ष उन्होंने लगाए। ग्रामीणों का कहना है कि इन्हीं पुराने वृक्षों से गांव की आबोहवा शुद्ध है और यहां रहने वाले लोग निरोग रहते हैं।
बिहार के बक्सर का कचइनियां गांव, जहां से अबतक नहीं मिले कोरोना के एक भी मामले।#BiharFightsCorona #biharcoronanews #buxar pic.twitter.com/rrLezOfmCf
— Akshay Pandey (@akshay019) May 6, 2021
प्रकृति की गोद में होता है योग
प्राकृतिक सौंदर्यता निहारता विनोबा वन ऑक्सीजन का खान है। रोज सुबह गांव वाले यहां विशाल वटवृक्ष के नीचे योग करते हैं। उसके बाद ताजी हवा में कुछ देर टहलते हैं। गांव के धर्मेंद्र कुमार पांडेय, धनजी पांडेय, बटुक भैरव, कृष्ण कुमार, विकास साहू और रोहित तिवारी बताते हैं कि पेड़ और और पर्यावरण किसी भी महामारी से लड़ने का कैसे हथयार बन सकते हैं, यह कोई भी उनके गांव में आकर देख सकता है। ग्रामीणों ने कहा कि यह उन लोगों का सौभाग्य है कि उन्हें विनोबा वन विरासत में मिला है।
कोविड-19 के प्रति सचेत रहते हैं लोग
यहां के ग्रामीण कोरोना गाइडलाइन के अनुपालन को लेकर सतर्क हैं। पिछले साल की तरह इस बार भी कोविड-19 पार्ट टू गाइडलाइन का पालन लोग बखूबी कर रहे हैं। गांव के श्याम बिहारी साहू, संदीप पांडेय, अभिषेक कुमार पांडेय, कृष्णा जी पांडेय, राजा बाबू, विकास पांडेय और आनंद पांडेय ने बताया कि संक्रमण की लहर कमजोर पड़ने के बाद भी यहां के लोगों ने बेवजह घर से बाहर नहीं निकलने के नियम का पालन किया। यदि कहीं गए भी तो सावधानी और सतर्कता के साथ। गांव में बाहर से आने वाले हर लोगों पर ग्रामीणों की पैनी नजर रहती है और बिना मास्क के गांव में प्रवेश नहीं दिया जाता है।
दूसरे लोग भी लें प्रेरणा
डुमरांव के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.आरबी प्रसाद ने कहा कि कोरोना काल में प्रखंड क्षेत्र में बहुत सारे प्रवासी कामगार आए और गए, लेकिन इस गांव से अबतक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिलना ग्रामीणों के जागरूक रहने का प्रमाण है। दूसरे गांवों के लोगों को भी कचइनियां से प्रेरणा लेनी चाहिए, क्योंकि सतर्कता ही कोरोना से बचाव का सबसे बड़ा हथियार है।