कोरोना ने छीनी नौकरी तो शेखपुरा के राम ने कर दिखाया ऐसा कमाल कि महिलाएं भी हो रहीं आत्मनिर्भर
कोरोना के कहर की वजह से लगे लाकडाउन में कंपनी ने काम से निकाल दिया। तब युवक गांव आकर नौकरीदाता बन गया। जिले के सदर प्रखण्ड अन्तर्गत मेहूस गांव में निवासी राम राघव की पहल पर महिलाएं हुनर सीखकर अत्मनिर्भर बन रही है।
सनोज कुमार, शेखपुरा। कोरोना के कहर की वजह से लगे लाकडाउन में कंपनी ने काम से निकाल दिया। तब युवक गांव आकर नौकरीदाता बन गया। जिले के सदर प्रखण्ड अन्तर्गत मेहूस गांव में निवासी राम राघव की पहल पर महिलाएं हुनर सीखकर अत्मनिर्भर बन रही है। बताया कि पहले वह गुड़गांव की एक कम्पनी में टेक्सटाइल्स इंजीनियर के पद पर पांच सालों तक काम किया। लाकडाउन लगने की वजह से गांव कंपनी ने काम से निकाल दिया। तब गांव में गरीबी दूर करने तथा खुद तथा इलाके की बेरोजगार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का रास्ता चुन लिया। अनुभव का लाभ उठाकर दिल्ली की कंपनी से समझौत किया। लेडिज गारमेन्टर तैयार कराने के प्रति कदम बढ़ाया। जिसमें अभी दो दर्जनों महिला और एक दर्जन युवक हाई तकनीकि मशीन से सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर इस कार्य में लगे है।
राम ने बताया कि कम्पनी से महीने में 30 हजार लेडिज गारमेन्टस देने का समझौता किया गया है। अभी मात्र पांच हजार वस्त्रों की आपूर्ति हो पा रही है। कच्चा माल लाने, तैयार करने तथा भेजने तक में प्रति गारमेन्टस 110 से 130 रूपये प्रति पीस आमदनी होती है। जिसमें सारा खर्च समाहित होता है। गारमेन्टस तैयार करने में जुटी प्रीति, नेहा, कंचन, कुन्दन, हेमा, अर्चणा सहित कई महिलाओं ने बताया कि महीने की अच्छी कमाई हो जाती है। महिलाओं को हाई तकनीकि मशीन से प्रशिक्षण दिलाने के लिए अभी तीन पुरुष ट्रेनर को रखा गया है। इस कारोबार को और बढ़ावा देने तथा इलाके के अधिक से अधिक बेरोजागर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की योजना कर काम किया जा रहा है। इसमें सरकारी तौर पर अभी किसी प्रकार की सहायता प्राप्त नहीं होने की बात भी बताई गई है।गौरतलब है कि सरकार ने स्वरोजगार की दिशा में युवाओं को बढ़ाने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की हैं। स्टार्टअप को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, लोगों में अब भी जानकारी का आभाव है।