बिहार में सुस्‍त पड़ी कांग्रेस, ठंडे बस्‍ते में पीएम मोदी की नीतियों के खिलाफ आंदोलन

कांग्रेस ने बिहार में अब तक सदस्यता अभियान आरंभ नहीं किया है। पटना में जलजमाव के कारण टला तो अब तक शुरू नहीं हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ भी आंदोलन नहीं।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:59 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 11:40 PM (IST)
बिहार में सुस्‍त पड़ी कांग्रेस, ठंडे बस्‍ते में पीएम मोदी की नीतियों के खिलाफ आंदोलन
बिहार में सुस्‍त पड़ी कांग्रेस, ठंडे बस्‍ते में पीएम मोदी की नीतियों के खिलाफ आंदोलन

पटना, एसए शाद। कांग्रेस ने बिहार में अब तक सदस्यता अभियान आरंभ नहीं किया है। पिछले माह दो अक्टूबर को गांधी जयंती के अवसर पर इस मुहिम की शुरुआत होनी थी, मगर पटना में जलजमाव की बड़ी समस्या के कारण यह समय पर शुरू नहीं हो सका था। लेकिन करीब डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है। खास बात कि नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आयोजित अभियान को लेकर भी पार्टी में कोई उत्साह नहीं है। 18 नवंबर से ही अभियान शुरू होनेवाला था, लेकिन दिन गुजर जाने के बाद भी पार्टी में कोई हलचल नहीं है। यह आंदोलन भी ठंडे बस्‍ते में पड़ा हुआ लगता है। 

युवा संगठन के लिए अब तक अधिसूचना जारी नहीं

पार्टी सूत्रों ने बताया कि वैसे वरिष्ठ नेता जिन्हें कोई न कोई पद मिल चुका है, वे संगठन में 'स्टेटस को' (यथावत स्थिति) बनाए रखने के पक्ष में रहते हैं। सदस्यता अभियान के संपन्न होने के तुरंत बाद संगठन चुनाव कराना पड़ता है, जो ये वरिष्ठ नेता नहीं चाहते। दो साल पूर्व हुए जिलाध्यक्षों के चुनाव के नतीजे के आलोक में जिलों में अध्यक्ष तैनात नहीं हैं। ऐसे अनेक जिले हैं जहां पूर्व में कार्यरत जिलाध्यक्ष ही अभी पद पर बने हैं। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष को लेकर अबतक संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष या एआइसीसी की ओर से कोई अधिसूचना जारी नहीं हुई है।

संगठन विस्‍तार के पक्ष में भी कोई पहल नहीं 

सदस्यता अभियान के अलावा संगठन विस्तार की दिशा में भी कोई पहल नहीं हुई है। प्रदेश में एक अध्यक्ष, चार कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति के अतिरिक्त एक कार्य समिति और एक सलाहकार समिति का पिछले वर्ष गठन हुआ। मगर इन दो समितियों का विस्तार नहीं हो पाया है। पार्टी की सबसे अहम कमेटी मानी जाने वाली राज्य कमेटी अबतक नहीं बनी है। इसके कारण प्रदेश में महासचिव नहीं बन सके हैं। इन महासचिवों को ही जिलों का प्रभार दिया जाता है। उन्हीं के पर्यवेक्षण में प्रखंड एवं जिलों में कार्यक्रम चलते हैं। महासचिव के नहीं रहने पर वरिष्ठ नेताओं को जिला प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। केंद्र सरकार के खिलाफ अभियान कार्यक्रम में इसी तरह जिलों के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। 

केंद्र के खिलाफ भी पार्टी में उत्साह नहीं

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर 18 नवंबर से 22 नवंबर तक केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आयोजित अभियान को लेकर भी पार्टी में कोई उत्साह नहीं है। पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल नहीं आए हैं। इस अभियान के लिए विशेष रूप से प्रदेश का प्रभारी नियुक्त किए गए राजेश मिश्रा भी नहीं पहुंचे हैं। 

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