मिथिला के स्वाभिमान के लिए शाही सेना से लड़े थे आम लोग

चेतना समिति की ओर से सोमवार को विद्यापति भवन में कार्यक्रम आयोजित

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Oct 2019 01:35 AM (IST) Updated:Tue, 15 Oct 2019 01:35 AM (IST)
मिथिला के स्वाभिमान के लिए शाही सेना से लड़े थे आम लोग
मिथिला के स्वाभिमान के लिए शाही सेना से लड़े थे आम लोग

पटना। चेतना समिति की ओर से सोमवार को विद्यापति भवन में पटना विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. अनिरूद्ध झा की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के दौरान पूर्व प्रशासनिक अधिकारी डॉ. रंगनाथ दिवाकर ने 'मिथिलाक इतिहास में कंदर्पी घाटक महत्व' विषय पर प्रकाश डाला।

दिवाकर ने कहा कि 1753-54 में मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल के अंधराठाढ़ी प्रखंड कमला नदी के किनारे हरिणा-महरैल गांव के समीप कंदर्पी घाट में खंडवला वंश के राजा नरेंद्र सिंह तथा शाही सल्तनत के बीच कई दिनों तक घमासान लड़ाई हुई। इसमें मिथिला की स्वायत्तता के रक्षार्थ नियमित सेना के अतिरिक्त सामान्य जनों ने भी उपलब्ध अस्त्र-शस्त्र के साथ लड़ाई में भाग लिया तथा अपने उत्साह, साहस, युद्ध कौशल का परिचय देते हुए विजयश्री प्राप्त की। इस लड़ाई में मिथिला के सभी जाति-वर्ग धर्म के लोगों ने एक साथ मिलकर समन्वय स्थापित कर अपने भू-भाग के प्रति अपनी श्रद्धा निष्ठा का अनोखा परिचय दिया। इसकी स्मृति में उस गांव में एक विजय स्तंभ का भी निर्माण कराया गया, जहां लोग जाकर आज भी अपनी श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं। जयंती के मौके पर समिति द्वारा संस्कृत शिक्षा बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. भारती मेहता को सम्मानित किया गया। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि डॉ. मेहता को बोर्ड को अध्यक्ष बनना मिथिलांचल के लिए गौरव की बात है। समिति के अध्यक्ष विवेकानंद झा ने लोगों से अपने इतिहास को जानने एवं अगली पीढ़ी को उससे अवगत कराने की आवश्यकता पर बल दिया। समारोह के दौरान चेतना समिति के सचिव उमेश मिश्र ने सभी लोगों का स्वागत किया तथा कार्यक्रम का संचालन किया। समारोह के दौरान परिसर में सांस्कृतिक प्रस्तुति का आयोजन हुआ। प्रस्तुति के दौरान कलाकारों ने मिथिला गीतों को पेश कर सभी का दिल जीता। मौके पर राम सेवक राय, डॉ. रमानंद झा रमण, डॉ. प्रेमलता मिश्र प्रेम, सतीश चंद्र झा, दिनेश चंद्र झा, रघुवीर मोची, अरूण कुमार झा, बच्चा ठाकुर, विनीता झा, चंद्रकांत झा पथिक आदि मौजूद थे।

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