Bihar Politics: बदला-बदला सा है सदन का मिजाज, सरकार आंकड़ों के साथ बैठी है और विपक्ष सवालों के साथ

Bihar Politics बहरहाल अभी सदन लंबा चलना है। बजट पर विभागवार चर्चा होनी है ऐसे में कितने दिन माहौल खुशनुमा रह पाएगा यह वक्त ही बताएगा। शहरों और गांवों की तस्वीर में और रंग भरने का मंसूबा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 09:23 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 05:53 PM (IST)
Bihar Politics: बदला-बदला सा है सदन का मिजाज, सरकार आंकड़ों के साथ बैठी है और विपक्ष सवालों के साथ
बिहार विधानसभा में मंगलवार को राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का पक्ष रखते मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। फाइल

पटना, आलोक मिश्र। Bihar Politics सदन की दीवारें सुराखदार होती हैं। न ठहाके रोकती हैं और न ही तल्खी। जो भीतर होता है, उसे बाहर कर देती हैं। इस समय सदन में बजट का मौसम है। सरकार आंकड़ों के साथ बैठी है और विपक्ष सवालों के साथ। लेकिन न हल्ला, न हंगामा। पक्ष-विपक्ष दोनों के अंदाज शायराना हैं। सदन को जानने वाले, सदन के इस बदले अंदाज पर हैरान हैं। उनके अनुसार ऐसा मौसम बहुत समय बाद आया है। दीवारों से छन कर बाहर आते ठहाके और चुटकियां सुन लोग मंसूबा बांधने लगे हैं कि अपना चिर-परिचित चोला (हंगामे वाला) छोड़ आगे भी सदन ऐसे ही चलेगा।

सभी राज्यों में इस समय बजट का बोलबाला है। बिहार में भी सोमवार को दो लाख 18 हजार 303 करोड़ रुपये का बजट प्रस्तुत किया गया, जो पिछली बार से लगभग सात हजार करोड़ रुपये अधिक है। बजट में रोजगार पर जोर है, तो कृषि का भी रोडमैप है। शहरों और गांवों की तस्वीर में और रंग भरने का मंसूबा है। महिलाओं की शिक्षा और रोजगार का खाका है। इसके अलावा और भी बहुत कुछ है जो बजट में होता है।

नीतीश सरकार के मुताबिक यह एक बेहतर बजट है जो प्रदेश को आगे ले जाने वाला है। लेकिन वह बजट ही क्या, जिससे विपक्ष संतुष्ट हो जाए। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के अनुसार यह झूठ का पुलिंदा है। इसमें नई योजनाएं नहीं हैं, यह केवल पुरानी योजनाओं का कट-पेस्ट भर है। हालांकि तेजस्वी हमलावर हैं, लेकिन इस बार उनके विरोध के तरीके की भी सराहना हो रही है। उनकी सदन में लगातार उपस्थिति और बोलने के तरीके पर कहा जा रहा है कि वे अब अनुभवी हो गए हैं। कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि पहले सदन चार दिन के लिए प्रस्तावित था, तेजस्वी की मांग सात दिन की थी। इस पर सदन महीने भर का कर दिया गया तो अब उनकी भी मजबूरी है उपस्थित रहने और संयमित होकर बोलने की।

इस बार सदन में चाचा (नीतीश कुमार) और भतीजे (तेजस्वी यादव) की केमिस्ट्री हैरान करने वाली है। चुनाव में दोनों की जुबानी जंग तो सर्वविदित है ही, सरकार गठन के बाद पहले सत्र में भी दोनों खूब भिड़े थे। नीतीश के पुत्र को लेकर तेजस्वी द्वारा की गई टिप्पणी मुख्यमंत्री को भीतर तक आहत कर गई थी। उन्होंने आपा खो दिया था और तेजस्वी को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। इस बार दोनों के तेवर बदले हैं। तेजस्वी संयमित दिख रहे हैं तो नीतीश भी चुटीले अंदाज में उन्हें उनकी उम्र का अहसास कराने से नहीं चूक रहे हैं। केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे नीतीश को जब तेजस्वी ने उस कार्यकाल की याद दिलाई तो नीतीश ने यह कहकर माहौल ठहाकेदार कर दिया कि उस समय तो आप गोद में थे। हम भी तो आपको गोद में खिला चुके हैं। हर बात पर काट करने वाले तेजस्वी के पास इसकी कोई काट नहीं थी। इसी तरह अगर नीतीश कुमार ने उन्हें उम्र का अहसास कराया तो सदन में उनके तेवर पर भी यह कहकर कटाक्ष किया कि कुछ दिन हमारे साथ रहने के अनुभव का लाभ आपको मिला है।

सदन में वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की शायरियों की जबरदस्त धूम है। शायरी से ही अपने बजट की शुरूआत करने वाले तारकिशोर के गले से बात-बात पर शायरी फूट रही है। तो तेजस्वी के सवाल भी शायरियों से ही बाहर आ रहे हैं। बजट पर तेजस्वी बोले- तू कर ले हिसाब, अपने हिसाब से/ जनता हिसाब लेगी, अपने हिसाब से। भला तारकिशोर कहां पीछे रहते, बारी आने पर बोले- सुना है आज समंदर को बड़ा गुमान आया है/ ले चलो कश्ती वहां पर, जहां तूफान आया है।

इस तरह के मौके कई बार आए। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा भी इस माहौल को हवा देने में जुटे हैं। माहौल तल्ख होने पर सत्तापक्ष अपने कदम पीछे करने में भी संकोच नहीं कर रहा है। माले विधायकों पर समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी द्वारा अमर्यादित टिप्पणी करने पर जब माहौल गरम होने लगा तो संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने खेद जता कर सबको शांत करा दिया।

[स्थानीय संपादक, बिहार]

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