निमोनिया से बच्चों की मृत्यु दर कम करेगी 'सांस'

शून्य से पांच साल तक के विभिन्न बीमारियों से मरने वाले बच्चों में सर्वाधिक है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Oct 2021 01:34 AM (IST) Updated:Fri, 29 Oct 2021 01:34 AM (IST)
निमोनिया से बच्चों की मृत्यु दर कम करेगी 'सांस'
निमोनिया से बच्चों की मृत्यु दर कम करेगी 'सांस'

पटना सिटी : शून्य से पांच साल तक के विभिन्न बीमारियों से मरने वाले बच्चों में सर्वाधिक 15 प्रतिशत बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। दूसरे नंबर पर डायरिया और तीसरे नंबर पर कुपोषण है। निमोनिया से बच्चों की जान बचाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय अभियान के तहत बिहार के नोडल केंद्र नालंदा मेडिकल कालेज अस्पताल में गुरुवार को प्रशिक्षण शुरू हुआ। सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज टू निमोनिया सक्सेजफुल (सांस) कार्यक्रम के तहत आयोजित प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन अधीक्षक सह शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डा. विनोद कुमार सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 38 जिलों के लिए डाक्टर एवं नर्सिंग ट्यूटर को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है।

पहले दिन के कार्यक्रम में पूर्णिया, बेगूसराय, नवादा और बांका जिलों के डाक्टरों व नर्सों को एनएमसीएच में शिशु रोग विभाग के राष्ट्रीय प्रशिक्षक डा. अखिलेश कुमार, डा. नसीम आलम, डा. रश्मि अग्रवाल ने प्रशिक्षण दिया। अगले चार चरणों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में अन्य जिलों के लिए मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षित किया जाएगा। राज्य स्वास्थ्य समिति और यूनिसेफ के सहयोग आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में निमोनिया से बचाव तथा इलाज से संबंधित जानकारी निर्धारित गाइडलाइन के आधार पर दी जा रही है। निमोनिया का लक्षण बच्चे में दिखने या पीड़ित होने पर कौन सा एंटीबायोटिक खुराक और कितना दिया जाए। आक्सीजन, निबुलाइजर के सही इस्तेमाल की भी जानकारी दी गई। अभियान के तहत बिहार में निमोनिया के प्रभाव का आंकड़ा भी तैयार किया जाएगा। कार्यक्रम में उपाधीक्षक डा. सरोज कुमार, डा. बीपी जायसवाल, डा. अतहर अंसारी, डा. संजय कुमार, यूनिसेफ के डा. तुषारकांत उपाध्याय व अन्य थे।

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