बिहार में विधानसभा क्षेत्र का नाम बदला लेकिन इपिक व मतदाता सूची में गड़बड़ियां कायम

चुनावी मशीनरी की अनदेखीः बिहार में परिसीमन के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र का नाम बदल गया पर चुनावी मशीनरी की अनदेखी के कारण मतदाता सूची और इपिक यानी मतदाता पहचानपत्र में पुराने क्षेत्र का नाम अभी भी दर्ज है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:26 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 11:26 AM (IST)
बिहार में विधानसभा क्षेत्र का नाम बदला लेकिन इपिक व मतदाता सूची में गड़बड़ियां कायम
लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र का नाम बदल गया पर मतदाता सूची और इपिक में पुराने क्षेत्र का नाम दर्ज है।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में परिसीमन के बाद लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र का नाम बदल गया पर चुनावी मशीनरी की अनदेखी के कारण मतदाता सूची और इपिक यानी मतदाता पहचानपत्र में पुराने क्षेत्र का नाम अभी भी दर्ज है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने बुधवार को ज्ञापन सौंपकर चुनाव आयोग का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया। प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी एचआर श्रीनिवास को दस बिंदुओं पर सुधार के सुझाव दिए।

भाजपा ने आयोग से नई मतदाता सूची बनाने, फोटो पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोडऩे और सूची में एक ही परिवार के नाम दो विभिन्न बूथों पर होने के कारण मतदान में हुई कठिनाइयों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। प्रतिनिधिमंडल में भाजपा के प्रदेश महामंत्री देवेश कुमार, संजीव चौरसिया और चुनाव आयोग सेल की संयोजक राधिका रमण शामिल थे। 

बिंदुवार गिनाईं कमियां

वर्ष 2008 में परिसीमन हुआ था। इसी आधार पर 2009 में लोकसभा और 2010 में विधानसभा चुनाव हुए। परिसीमन के बाद कई पुराने क्षेत्रों का अस्तित्व समाप्त हो गया था। कई नए अस्तित्व में आए, लेकिन नए सिरे से मतदाता सूची और फोटो पहचान-पत्र नहीं बनने के कारण वोटरों के पास आज भी पुराने पहचान पत्र ही हैैं। मतदाता पुनरीक्षण हुए 19 वर्ष हो गए, जिसके कारण आज भी सूची में कई ऐसे नाम है जिनका निधन हो गया या वे कहीं और चले गए। देश में अगस्त-सितंबर में मतदाता सूची बनाई जाती है। बिहार में तब बाढ़ और दशहरा, दीवाली, छठ जैसे महत्वपूर्ण पर्व होते हैैं। ऐसे में मतदाता पुनरीक्षण निष्प्रभावी रहता है। 2008 मेंपरिसीमन के बाद कोई नजरी नक्शा नहीं बनाया गया। पुरानी सूची के आधार पर प्रत्येक वर्ष 10 फीसद नाम काटने और 20 फीसद नाम जोडऩे का आदेश दे दिया गया। परिणाम होता है कि प्रयास के बाद भी 50 फीसद से ज्यादा मतदाता वोट नहीं डाल पाते।

त्रुटियों में सुधार के दिए सुझाव

2008 के परिसीमन के आधार पर बूथ स्तर पर नजरी नक्शा बनवाया जाए, जिसमें टोला/मुहल्ला एवं गृह संख्या रहे। इसे सभी दलों को भी दिया जाए। बीएलओ एवं बीएलए की बैठक बुलाई जाए। घर के पास के बूथ में ही मतदाताओं के नाम जोड़े जाएं। आधार से मतदाता सूची को लिंक कर दिया जाए। बूथों का चयन आयोग अपने हिसाब से करे। निर्देशों का पालन नहीं करने वाले दोषी अधिकारियों पर दण्डात्मक कार्रवाई की जाए।

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