कृषि कानूनों के विरोध में चक्का जाम की बिहार में निकली हवा, लालू की पार्टी राजद भी नहीं दिखी सड़कों पर
Farmers Protest in Bihar बिहार के किसान नए कृषि कानूनों पर सरकार के साथ दिख रहे हैं। यही वजह है कि यहां विपक्षी दलों की कई कोशिशों के बावजूद किसान आंदोलन का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है।
पटना, राज्य ब्यूरो। Farmer's Protest: बिहार के किसानों को आंदोलन से कोई मतलब नहीं दिख रहा है। बिहार के विपक्षी दलों एवं कुछ संगठनों ने चक्का जाम की अपील भी की थी, लेकिन उसका भी कोई असर नहीं दिखा। राजद, कांग्रेस एवं वामदलों ने कृषि कानून के खिलाफ चल रहे आंदोलन को हवा देने का प्रयास किया। प्रमुख विपक्षी दल राजद ने तो पहले ही नैतिक समर्थन देने की बात कहकर आंदोलन से एक तरह से किनारा कर लिया था। फिर भी कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर से जहां-तहां एक घंटे के लिए प्रतीकात्मक मौजूदगी दर्ज कराई।
पटना में सबसे अधिक सक्रिय दिखे जाप के कार्यकर्ता
राजधानी एवं आसपास के इलाकों में सबसे ज्यादा सक्रिय पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी को देखा गया। पटना सिटी के टोल प्लाजा के पास पार्टी के कार्यकर्ता सक्रिय देखे गए। भाकपा माले समेत वामदलों की ओर से राजधानी के डाकबंगला चौराहे पर दोपहर दो से तीन बजे के बीच घंटे भर के लिए जाम की स्थिति दिखाने की कोशिश जरूर की गई, लेकिन वह भी बेअसर ही रहा।
माकपा ने किया है चक्का जाम सफल रहने का दावा
हालांकि माकपा के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने दावा किया है कि चक्का जाम का प्रदेश के विभिन्न जिलों में खासा असर रहा। राजद और कांग्रेस ने तो दावा करने की जरूरत भी नहीं समझी कि उनकी ओर से किए गए आंदोलन की तस्वीर कैसी रही और उसका असर क्या हुआ?
अखिल भारतीय किसान महासभा के महासचिव व माले नेता राजाराम सिंह ने विज्ञप्ति भेजकर दावा किया कि चक्का जाम पूरी तरह सफल रहा। बड़ी संख्या में किसानों की भागीदारी हुई। डाकबंगला चौराहे पर चक्का जाम कराने में भाकपा के रामबाबू कुमार, गजनफर नवाब, रामचंद्र महतो, माकपा के गणेश शंकर सिंह, अरुण कुमार मिश्रा, मनोज कुमार चंद्रवंशी और अहमद अली समेत अन्य नेताओं को सक्रिय बताया गया।
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