बिहार में एनएच परियोजनाओं के जमीन अधिग्रहण के लिए मिले नौ हजार करोड़, बनेगी 720 किलोमीटर लंबी सड़क
बिहार की राष्ट्रीय उच्च पथ परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को ले केंद्र ने रिकार्ड 9273 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। इस राशि से 720 किमी सड़क का निर्माण संभव हो पाएगा। जमीन हासिल होने की स्थिति में निर्माण के साथ तीस हजार करोड़ रुपए का खर्च।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार की राष्ट्रीय उच्च पथ परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण को ले केंद्र ने रिकार्ड 9273 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। एनएच की परियोजनाओं के लिए इतनी बड़ी राशि जमीन अधिग्रहण मद में पहली बार मिली है। एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी कर्नल चंदन वत्स ने बताया कि इस राशि से 720 किमी सड़क के लिए जमीन अधिग्रहण का मुआवजा दिया जाना संभव हो सकेगा।
जमीन की उपलब्धता हो जाने से सत्रह हजार करोड़ का निर्माण
एनएचएआई के क्षेत्रीय कार्यालय का आकलन है कि अगर जमीन मुआवजे की इस बड़ी राशि का वितरण हो जाता है तो एक साथ 720 किमी सड़क के लिए जमीन उपलब्ध हो जाएगी। जमीन मिल जाने की स्थिति में सत्रह हजार हजार करोड़ रुपए का निर्माण कार्य आरंभ होने की स्थिति रहेगी।
लंबी अवधि से अटका है जमीन अधिग्रहण का मामला
बड़ी संख्या में एनएच की परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण का मामला अटका पड़ा है। विवाद जमीन की दर और जमीन की प्रकृति का है। जमीन की उपलब्धता नहीं होने की वजह से निर्माण की लागत बढ़ रही है। जिन परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण की राशि उपलब्ध करायी गयी है, उनमें उमगांव-सहरसा, पटना-आरा-सासाराम व कई अन्य पुरानी योजनाएं शामिल हैं।
मुआवजे की राशि वितरण किए जाने को ले अलग से मॉनीटरिंग
एनएचएआई का कहना है कि जमीन अधिग्रहण से जुड़े काफी मामले इस श्रेणी के भी हैं, जिसमें अधिग्रहण के लिए तय मुआवजा राशि संबंधित जिले को काफी पहले उपलब्ध करा दी गयी है पर उसका वितरण संभव नहीं हो पा रहा। कई बार उच्च स्तरीय बैठकों में भी इस मामले को उठाया गया। अब जब बड़ी राशि जमीन अधिग्रहण के मुआवजे के लिए उपलब्ध करायी गयी है तो इसके वितरण के लिए नियमित रूप से मॉनीटरिंग की व्यवस्था की जा रही है। यह प्रावधान भी लागू किया जा सकता है कि अगर कोई मुआवजा नहीं लेता है तो मुआवजे की राशि न्यायालय में जमा कर काम आरंभ करा दिया जाए।