जाति आधारित जनगणना के मसले पर बिहार भाजपा ने खोला मुंह, संजय जायसवाल ने कह दी बड़ी बात

Bihar Politics जाति आधारित जनगणना के मसले पर बिहार भाजपा ने अपना स्‍टैंड पूरी तरह क्‍लीयर कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष संजय जायसवाल ने उन चीजों के बारे में भी बात की है जो 2011 की जनगणना के दौरान हुई थीं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 03:33 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 03:33 PM (IST)
जाति आधारित जनगणना के मसले पर बिहार भाजपा ने खोला मुंह, संजय जायसवाल ने कह दी बड़ी बात
बिहार भाजपा के अध्‍यक्ष संजय जायसवाल। फाइल फोटो

पटना, जागरण टीम। Bihar Politics: जाति आधारित जनगणना के मसले पर बिहार भाजपा ने केंद्र सरकार के फैसले को सही बताया है। भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष संजय जायसवाल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि 2011 में सामाजिक, आर्थिक जनगणना में सरकार यह देख चुकी है कि जाति आधारित जनगणना कराना फिलहाल पूरी तरह अव्‍यवहारिक है। उन्‍होंने कहा कि 2011 की जनगणना जाति का मकसद जातियों का आंकड़ा प्राप्‍त करना नहीं था, लेकिन इसमें लोगों ने चार लाख 28 हजार जातियों का जिक्र कर दिया। इतनी अधिक संख्‍या में जातियों का डाटा प्रोसेस करना आसान नहीं है। बहुत से लोगों को खुद ही यह नहीं पता कि वह सामान्‍य जाति में हैं या ओबीसी में। किसी ने अपना टाइटिल चौहान बताया तो वह सामान्‍य जाति का भी हो सकता है और आरक्षित श्रेणी का भी।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्‍ता ने भी जारी किया बयान

इधर, बिहार भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने कहा कि जनगणना में जातियों की गिनती करने की मांग पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित है। उन्‍होंने कहा कि जनगणना को लेकर धारणा बनाने से बचना चाहिए। इसकी बजाय जनगणना के पहलुओं पर काम करने की जरूरत है।  आधुनिक आर्थिक विकास का फायदा वंचित और दमितों तक पहुंचे, इसके लिए सोचना और काम करना चाहिए। राजनीति और प्रशासनिक मशीनरी वंचित तबकों को उनका हक दिलाने में बाधक नहीं बने, बात इसके लिए होनी चाहिए।

सामाजिक न्‍याय के नाम पर राजनीति का आरोप

भाजपा प्रवक्‍ता ने कहा कि सामाजिक न्‍याय के नाम पर सत्‍ता में आए मसीहाओं ने पूरे प्रकरण को अपने हितों के लिए भुनाना शुरू कर दिया। सामाजिक न्‍याय का लाभ कुछ खास वर्गों को मिला तो समाज को यह डर दिखाया जाने लगा कि उनके जाते ही चीजें फिर से पहले जैसी हो जाएंगी। इसकी बजाय सभी को समान भागीदारी और विकास का लाभ देने की बात होनी चाहिए थी।

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