पटना में शुरू हो गया 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोड़ने का अभियान, 31 तक मोहलत Patna News

पटना में आज से 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोडऩे का अभियान शुरू हो गया। कार्य पूरा करने के लिए 31 दिसंबर तक की मोहलत दी गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 10:16 AM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 10:16 AM (IST)
पटना में शुरू हो गया 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोड़ने का अभियान, 31 तक मोहलत Patna News
पटना में शुरू हो गया 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोड़ने का अभियान, 31 तक मोहलत Patna News

पटना, जेएनएन। मंगलवार से पटना जिले के सभी 23 प्रखंडों में जलस्रोतों पर अवैध कब्जा तोडऩे का अभियान शुरू हो गया। इसके लिए सुबह से ही टीम दलबल के साथ अवैध कब्जा दोड़ने पहुंची। असल में 'जल, जीवन और हरियाली मिशन' के तहत राज्य सरकार ने परंपरागत आहर, पईन, तालाब, जलाशय और नदी-नाले को अतिक्रमणमुक्त करने के लिए 31 दिसंबर तक मोहलत दी है। तय समय पर काम खत्म करने पर शहर की सूरत बदली-बदली नजर आएगी।

राजधानी में अबतक करीब 12 हजार जलस्रोतों की पहचान की गई है जिन पर स्थायी और अस्थायी अतिक्रमण है। सभी अंचल पदाधिकारियों को अतिक्रमण तोडऩे की वैधानिक शक्ति दी गई है। अतिक्रमण की पहचान कर मुकदमा चलाने और फैसले के अनुसार तोडऩे की शक्ति सीओ में निहित की गई है।

पटना में 29.8 किलोमीटर लंबे बादशाही नाले पर प्रथम चरण में अतिक्रमण हटाने का अभियान शुरू किया गया जिसमें फुलवारीशरीफ, पटना सदर और संपतचक अंचल का हिस्सा है। दानापुर में लेखानगर इलाके में स्थायी अतिक्रमण तोडऩे का कार्य शुरू कर दिया गया है। मंगलवार से जिले के सभी अंचलों में आहर, पईन, नहर, तालाब सहित अन्य जलाशयों को अतिक्रमणमुक्त करने का अभियान आरंभ कर दिया जाएगा।

जिले में छह अनुमंडल हैं। पटना सदर, पटना सिटी, बाढ़, दानापुर, मसौढ़ी और पालीगंज के अनुमंडल पदाधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी और पुलिस बल का प्रबंध कराने का निर्देश दिया गया। अवैध कब्जा हटाने के दौरान शांति भंग नहीं हो इसके लिए सभी आवश्यक तैयारी की गई है। अनुमंडल के भूमि सुधार उप-समाहर्ता को अवैध निर्माण तोडऩे का निर्देश दिया गया है।

तोडऩे का खर्च वसूलेगी सरकार

अंचलाधिकारी द्वारा जलस्रोत पर अतिक्रमण की मापी के बाद निशान लगाना है। निशान लगने के बाद यदि खुद से अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो प्रशासन तोडऩे पर आने वाले खर्च को भी वसूल करेगा।

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