पटना में मकानों को तोड़ने के आदेश को कोर्ट में चैलेंज देंगे भवन मालिक, बोले-जद में आएंगे और भी घर

बेउर जेल की बाउंड्री से सटे 40 मकानों को तोड़ने का निर्देश मिलते ही आसपास के सारे भवन मालिक एकजुट हो आंदोलन के मूड में आ गए हैं। सभी मकान मालिकों ने एक स्वर से इस लड़ाई को सड़क से लेकर न्यायालय तक ले जाने की चेतावनी दी है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 03:52 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 03:52 PM (IST)
पटना में मकानों को तोड़ने के आदेश को कोर्ट में चैलेंज देंगे भवन मालिक, बोले-जद में आएंगे और भी घर
पटना में मकान तोड़ने पर स्थानीय लोग कोर्ट की शरण लेंगे। प्रतीकात्मक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, पटना। आदर्श केन्द्रीय कारा बेउर में बाउंड्री से सटे 40 मकानों को तोड़ने का निर्देश मिलते ही आसपास के सारे  भवन मालिक एकजुट हो आंदोलन के मूड में आ गए हैं। रविवार को इस संबंध में बैठक कर सभी मकान मालिकों ने एक स्वर से इस लड़ाई को सड़क से लेकर न्यायालय तक ले जाने की चेतावनी दी है। सभी पीड़ित परिवार एकजुट हो इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का मन बना लिया है। 

इस संबंध में शशांक शेखर डब्लू, प्रभाष कुमार, उदय ओझा, अनिल सिन्हा एवं वीरेंद्र कुमार ने बताया कि गृह विभाग के अपर सचिव ने जेल के बाउंड्री के 50 मीटर के दायरे में बने मकानों को तोड़ने का निर्देश दिया था। कारा प्रशासन की ओर से जेल बाउंड्री के 10 मीटर अंदर के बने मकानों को ही चिह्नित कर नगर निगम को सूची भेज दी गई है। वास्तविक जांच की जाए तो पचास मीटर के दायरे में 200 से अधिक मकानों को तोड़ना पड़ेगा। इन लोगों ने कहा कि इन भवनों से जेल के अंदर कोई भी आपत्तिजनक सामान नहीं फेंका जाता है। लोगों ने कहा कि इनके सुरक्षाकर्मी ही जेल के अंदर गांजा, भांग, शराब, स्मैक, सिगरेट, मोबाइल व चार्जर समेत अन्य आपत्तिजनक सामान फेंकते हैं। बदले में सुरक्षाकर्मी मोटी रकम लेते हैं। जेल प्रशासन की ओर से आज तक बाउंड्री पर सीसी टीवी कैमरा नहीं लगाया गया है। पीड़ित लोगों का कहना है कि जिस दिन सीसी टीवी कैमरे लगा दिए जाएंगे पता चल जाएगा कि कहां से किसके इशारे पर आपत्तिजनक सामान फेंके जाते हैं। बाउंड्री के बाहर कोई लाइट तक नहीं लगाई गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने किसान से जमीन खरीदकर बकायदा नगर निगम से नक्शा पास करवा मकान बनवाया है। जब भवन निर्माण हो रहा था तो किसी ने आब्जेक्शन नहीं किया था। अब कारा प्रशासन को आपत्ति हो रही है। स्थानीय लोगों ने बैठक कर उच्च न्यायालय में मामला ले जाने का निर्णय लिया गया है।

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