BPSC 64th Result: निकिता ने बीपीएससी को लिखा पत्र, मगध यूनिवर्सिटी की गलती की सजा मुझे ना दें
नालंदा की निकिता ने बीपीएससी 64वीं की पीटी व मेन्स व 21 जनवरी 2021 को इंटरव्यू में भी चुन ली गई। बावजूद उसका चयन रद कर दिया गया। क्योंकि सात साल तक मगध विवि ने उसके स्नातक का मूल प्रमाण पत्र नहीं दिया। इस मेघावी बेटी को न्याय का इंतजार
बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। BPSC 64th Result: बीपीएससी 64वीं की परीक्षा में सफलता हासिल करने के बावजूद नौकरी से वंचित की गई निकिता शनिवार को स्नातक के मूल प्रमाण पत्र के साथ पटना स्थित बीपीएससी ऑफिस पहुंची। वहां किसी अधिकारी से मुलाकात नहीं हो सकी तो प्रमाण पत्र स्पीड पोस्ट कर अपने घर बिहारशरीफ लौट आई। निकिता को उम्मीद है कि आयोग समय पर ग्रेजुएशन का सर्टिफिकेट जमा नहीं कर पाने का दोषी उसे नहीं ठहराएगा और उसके चयन पर मुहर लगा देगा। दरअसल, मगध विवि से समय पर ग्रेजुएशन पास का मूल प्रमाण पत्र नहीं मिलने के कारण आयोग ने उसका रिजल्ट रद कर दिया है।
मगध विवि ने सात साल तक नहीं दी निकिता की डिग्री
निकिता ने आयोग को स्पीड पोस्ट से मार्मिक पत्र लिखा है, जिसमें उसने उल्लेख किया है कि विवि की गलती की सजा उसे नहीं दी जाए। उसने 2010-13 सत्र में नालंदा कॉलेज से स्नातक की परीक्षा दी थी। सात साल तक कॉलेज में विवि ने स्नातक का मूल प्रमाण पत्र नहीं भेजा। इस बीच उसने बीपीएससी की पीटी व मेन्स दोनों परीक्षाएं पास कर ली। 21 जनवरी 2021 को इंटरव्यू में भी चुन ली गई। उधर. पिछले 9 महीने से वह विवि के चक्कर काटती रही लेकिन मूल प्रमाण पत्र नहीं मिल सका। जब मई के आखिर तक मूल प्रमाण पत्र जमा करने की मियाद पूरी होती दिखी तो विवि कार्यालय में जाकर वह अड़ गई। मीडिया में बात आई तो 24 घंटे में शुक्रवार को स्नातक का मूल प्रमाण-पत्र दे दिया गया। ऐसे में निकिता ने आयोग से अपील की है कि उन्हें एक मौका दिया जाए और बोर्ड पुनर्विचार कर उसके भविष्य को बर्बाद होने से बचा ले।
टेस्टीमोनियल के आधार पर परीक्षा ली, अब रिजल्ट कर दिया रद
बीपीएससी की पीटी परीक्षा देने के वक्त निकिता ने आयोग को बताया था कि स्नातक का मूल प्रमाण-पत्र विवि द्वारा नहीं दिया गया है। इसके बाद उसने विवि द्वारा जारी टेस्टीमोनियल को सबमिट कर दिया। जिसमें विवि ने लिखा कि अभ्यर्थी सही है और विवि की गलती के कारण इसका मूल प्रमाण-पत्र नहीं निर्गत किया गया। बीपीएससी 64वीं की सभी परीक्षा में निकिता ने सफलता हासिल कर ली लेकिन आयोग ने टेस्टीमोनियल को नकारते हुए रिजल्ट को रद्द कर दिया।
विपरीत परिस्थितियों में पाई सफलता
निकिता के माता-पिता की मृत्यु हो चुकी हैं। पढ़ने की लगन थी तो उसने अपनी बहन के घर रहकर पढ़ाई की। कड़ी मेहनत और संघर्ष के बूते बीपीएससी 64वीं की सभी परीक्षाओं में सफल रही। लगा था कि अब अच्छी नौकरी के बूते दुख कम होंगे। मगर उसकी यह खुशी चंद दिनों भी नहीं टिकी। मगर मगध विश्वविद्यालय की लेटलतीफी और लाल फीताशाही ने निकिता के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। इस मेघावी बेटी को अब एक और लड़ाई लड़नी होगी।