कमजोर हो रही रिश्‍तों की डोर, बेटे-बहू के लिए मां-बाप बने रहे बोझ; पीडि़त बुजुर्गों के आंकड़े चौंकानेवाले

रिश्तों की कमजोर होती डोर के कारण संवेदनाएं भी बिखरने लगी हैं। कोई मां-बाप अपने बेटे-बहू की प्रताडऩा से त्रस्त है तो कोई मासूम अपने मां-बाप के लिए ही बोझ बन रही है।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 04:49 PM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 11:42 PM (IST)
कमजोर हो रही रिश्‍तों की डोर, बेटे-बहू के लिए मां-बाप बने रहे बोझ; पीडि़त बुजुर्गों के आंकड़े चौंकानेवाले
कमजोर हो रही रिश्‍तों की डोर, बेटे-बहू के लिए मां-बाप बने रहे बोझ; पीडि़त बुजुर्गों के आंकड़े चौंकानेवाले

पटना, श्रवण कुमार। रिश्तों की कमजोर होती डोर के कारण संवेदनाएं भी बिखरने लगी हैं। कोई मां-बाप अपने बेटे-बहू की प्रताडऩा से त्रस्त है, तो कोई मासूम अपने मां-बाप के लिए ही बोझ बन रही है। अपनों से टूट चुके ऐसे ही मां-बाप और बच्चियों के लिए प्रशासन के स्तर से स्पेशल एक्शन प्लान तैयार किया गया है।  'क्विक एक्शन'  का असर भी दिखने लगा है। बड़ी संख्या में बुजुर्ग अपने बेटे-बहू की शिकायतें लेकर अनुमंडल पदाधिकारी की अध्यक्षता वाले अधिकरण (ट्रिब्यूनल) का दरवाजा खटखटा रहे हैं। दूसरी ओर बच्चियां भी खुद फोन कर अपने ही घर वालों पर जबरन कम उम्र में शादी का दवाब देने की शिकायत भी कर रही हैं। 

2019 में अब तक 71 बुजुर्गों ने की है शिकायत

अनुमंडलाधिकारी (एसडीओ) कुमारी अनुपम सिंह बुजुर्गों की संरक्षा को बने अधिकरण की अध्यक्ष और बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी भी हैं। 2019 में अब तक 71 बुजुर्गों ने इनके पास अपने बेटे-बहू के खिलाफ शिकायत की है। अधिकतर शिकायतें भरण-पोषण को लेकर है। एसडीओ कहती हैं, हर शनिवार को इन बुजुर्गों की शिकायतें सुनी जाती हैं। बेटे-बहू को बुलाया जाता है। मोबाइल पर बुलाने से नहीं आने पर निबंधित पत्र पते पर भेजा जाता है। दो से तीन माह के भीतर अधिकतर मामलों में लिखित समझौता करा दिया जाता है। छह दर्जन में से 25 मामलों का निष्पादन करा दिया गया है। 

दो दर्जन बेटियों ने कहा, अभी नहीं करनी शादी

तस्वीर का दूसरा रुख ये भी है कि बड़ी संख्या में बेटियां भी अपने ही मां-बाप के लिए बोझ बन रही हैं। बेटियां पढ़कर कुछ बनना चाहती हैं। पर कुछ माता-पिता उसकी शादी बालपन में करने पर आमादा हो जाते हैं। जागरुकता बढ़ी है। अब लाडो चुपचाप सहती नहीं। एसडीओ को सूचना देती हैं। सूचना मिलते ही स्थानीय थाना को तत्काल बच्ची के घर भेजा जाता है और समझा-बुझाकर शादी रोकी जाती है। कभी-कभार जरूरत पडऩे पर कानून का डर भी दिखाना पड़ता है। अब तक दो दर्जन ऐसे मामलों पर एसडीओ एक्शन में आ चुकी हैं। 

कहते हैं अधिकारी

'बाल विवाह या बुजुर्गों को सताने की शिकायतों पर प्रशासन गंभीर है। बाल विवाह की कई शिकायतों पर तो आधी रात को भी कार्रवाई की गई है। जागरूकता के लिए शनिवार को अनुमंडल के सभी पंचायतों के मुखिया की बैठक भी बुलाई गई है। बाल विवाह को लेकर कोई भी शिकायत हो तो किसी भी समय सूचना दें।Ó

- कुमारी अनुपम सिंह

अनुमंडलाधिकारी, पटना सदर 

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