सीएम नीतीश कुमार की कैबिनेट में मंत्री पद के लिए भाजपा नेता नागपुर से दिल्ली तक कर रहे परिक्रमा
28-30 के बीच कैबिनेट विस्तार संभावित है। नीतीश की कैबिनेट में जगह पाने के लिए पूर्व मंत्रियों और वरिष्ठ विधायकों की बेकरारी चरम पर है। किसी को पांच से सात बार विधायक होने पर गुमान है। कोई मनौती मान रहा है तो किसी ने अनुष्ठान शुरू करा दिया है।
पटना, रमण शुक्ला। सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल (cabinet) में जगह पाने के लिए भाजपा के विधायकों और विधान पार्षदों ( MLAs and MLCs of BJP)की बेचैनी बढ़ गई है। वरिष्ठ विधायकों के साथ पूर्व मंत्रियों की बेकरारी तो चरम पर है। कोई नागपुर (Nagpur) में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का दरवाजा खटखटा रहा है तो कोई दरियादिली की उम्मीद में दिल्ली दरबार की टकटकी बांधे हुए है। सामाजिक और क्षेत्रीय समीकरण के आधार पर कोई अपने आप को किसी पूर्व मंत्री का विकल्प बता रहा है तो किसी को अपनी वरिष्ठता के साथ पांच से सात बार विधायक होने पर गुमान है। कोई मंदिरों में मनौती मान रहा है तो किसी ने अनुष्ठान शुरू करा दिया है। अभी सरकार में शामिल भाजपा के सात मंत्रियों में से पांच की पृष्ठभूमि खाटी रूप से संघ की है।
माह अंत तक सरकार में शामिल हो सकते हैं नए मंत्री :
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्पष्ट कर चुके हैं कि भाजपा की ओर से कैबिनेट विस्तार में विलंब हो रहा है। भाजपा जब चाहेगी वह विस्तार के लिए तैयार हैं। इस बीच चर्चा है कि भाजपा दो-तीन दिन के अंदर मुख्यमंत्री को कैबिनेट के लिए मंत्रियों के नाम की सूची सौंप देगी। इस हिसाब से बहुत संभव है कि 28 से 30 जनवरी के बीच मंत्रिमंडल का विस्तार (cabinet expansion) हो जाए। अभी एक मंत्री पर कई विभागों की जिम्मेदारी है और सत्तारूढ़ गठबंधन की इच्छा 19 फरवरी से शुरू होने वाले बजट सत्र (Budget session) से पहले विभागों के लिए नए मुखिया को मुस्तैद कर देने की है।
मंदिर-मंदिर मनौती मान रहे, वायरल हो रही तस्वीर :
इंटरनेट मीडिया की मानें तो पिछली सरकार से बाहर हुए दो दिग्गज मंत्री हाल के दिनों में कई मंदिरों में मनौती मांगते देखे गए हैं। पूर्व मंत्रियों के सिपहसालारों ने इसकी पुष्टि भी की है। अहम यह कि दो पूर्व मंत्रियों ने तो पिछले दिनों मथुरा-वृंदावन की दर्शन यात्रा से संबंधित फोटो भी ट्विटर पर सार्वजनिक किया है। एक पूर्व मंत्री की मंदिर-मंदिर भ्रमण से संबंधित तस्वीर इंटरनेट मीडिया में खूब वायरल हो रही है।
वफादारों को महत्व और दूसरे दल से आने वालों की चिंता भी:
वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी वफादारों और रीति-नीति व विचारधार से जुड़े विधायकों व विधान पार्षदों को मंत्री बनाने के लिए तवज्जो देगी। हालांकि अपवाद के तौर पर दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए नेताओं को भी मौका मिल सकता है। इसी वजह से कैबिनेट विस्तार में नामों को लेकर पेच फंसा है। दूसरे दल से आए नेता सामाजिक समीकरण और क्षेत्रीय महत्व का हवाला दे रहे, जबकि पुराने वफादार खून-पसीना से पार्टी को सींचने की दुहाई। ऐसे में नए उभरते नेताओं के लिए भी चिंता करनी है, जिन्हें पार्टी अक्सर युवा भारत का प्रतिनिधि बताती रही है। चूंकि मंत्रिमंडल में सीमित स्थान है और पार्टी में कई योग्य दावेदार, इसीलिए नए मंत्रियों के चयन में भाजपा समय ले रही है। दरअसल, नामों की घोषणा और शपथ ग्रहण के बाद पार्टी कोई बखेड़ा नहीं चाहती।