भारत के राष्‍ट्रीय जलीय जीव का पसंदीदा ठिकाना है बिहार, यूपी और असम; जानिए कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य

राष्ट्रीय जल जीव घोषित गांगेय डाल्फिन को संरक्षित किया जाएगा। रिसर्च के लिए गंगा या कोसी नदी के पास दो-तीन किलोमीटर का कैनाल बनाया जाएगा। इसमें 10-15 डाल्फिन को रखकर उसकी हर गतिविधि पर रिसर्च किया जाएगा। जानें कुछ रोचक तथ्‍य...

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 08:31 AM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 08:31 AM (IST)
भारत के राष्‍ट्रीय जलीय जीव का पसंदीदा ठिकाना है बिहार, यूपी और असम; जानिए कुछ दिलचस्‍प तथ्‍य
गंगा सहित कई नदियों में पाया जाता है डाल्‍फ‍िन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय जल जीव घोषित गांगेय डाल्फिन को संरक्षित किया जाएगा। रिसर्च के लिए गंगा या कोसी नदी के पास दो-तीन किलोमीटर का कैनाल बनाया जाएगा। इसमें 10-15 डाल्फिन को रखकर उसकी हर गतिविधि पर रिसर्च किया जाएगा। उक्त बातें राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री नीरज कुमार ने कहीं। वे पटना साइंस कालेज में देश के पहले डाल्फिन रिसर्च सेंटर के उद्घाटन के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कहा कि समुद्री डाल्फिन शो की तरह गांगेय डाल्फिन का शो आयोजित होगा। संभावना तलाशी जा रही है। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा। छात्र-शिक्षकों से रिसर्च सेंटर को लेकर राय भी मांगी। कहा कि डाल्फिन रिसर्च सेंटर की किसी प्रकार की परेशानी को एक सप्ताह के अंदर दूर किया जाएगा।

30 करोड़ रुपए की लागत से बनेगा नया भवन

इस अवसर पर प्रधान सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि डाल्फिन रिसर्च सेंटर की नींव रखी गई है। 30 करोड़ से नया भवन बनेगा। सेंटर का कार्य कैसे किया जाए, इसको लेकर जल्द बैठक की जाएगी। कार्यक्रम का संचालन साइंस कालेज के प्रो. जीबी चांद ने और धन्यवाद ज्ञापन जुलोजी विभागाध्यक्ष प्रो. अरविंद कुमार ने किया। अतिथियों का स्वागत पटना विवि के डीन सह साइंस कालेज प्राचार्य प्रो. श्रीराम पद्मदेव ने किया।

1994 से प्रयास को अब सफलता

डाल्फिन मैन के नाम से विख्यात माता वैष्णो देवी विवि जम्मू के कुलपति पद्मश्री प्रो. आरके सिन्हा ने कहा कि शोध केंद्र के लिए 1994 से प्रयास कर रहा हूं। इसके लिए नेपाल, गोमुख, गंगा सागर, ब्रह्मपुत्र व विदेश का भ्रमण कर डाल्फिन की गतिविधियों को देख रहा हूं। लैब बनने से इसपर रिसर्च हो सकेगा। इसके जेनेटिक्स को लेकर भी शोध हो सकेगा। इसे बचाने के लिए जन-जागरूकता की जरूरत है। इसके शोध में समय या किसी बिंदु सीमा का बंधन नहीं होना चाहिए।

पटना विवि से मिलेगा शोध में सहयोग

पटना विवि के कुलपति प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि विवि रिसर्च सेंटर को पूरी तरह सहयोग के लिए तैयार है। डाल्फिन रिसर्च को लेकर विवि के पास 50 लाख रुपये हैं। जरूरत पर इसका उपयोग किया जा सकता है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के चेयरमैन प्रो. अशोक घोष ने रिसर्च सेंटर को बोर्ड की ओर से हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया।

बिहार में सबसे अधिक डाल्फिन

डाल्फिन रिसर्च सेंटर के अंतरिम निदेशक व जुलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के वैज्ञानिक गोपाल शर्मा ने बताया कि देशभर में सबसे अधिक गांगेय डाल्फिन बिहार में हैं। 2018 में हुए सर्वेक्षण में 1465 गिनती की गई। 

कहां कितने डाल्फिन बिहार में बक्सर से मोकामा तक गंगा में 333 बिहार में मोकामा से मनिहारी घाट तक गंगा में 750 बिहार में त्रिवेणी बराज से पटना तक गंडक नदी में 125 घाघरा नदी के बिहार एरिया में 55 उत्तर प्रदेश की नदियों में 1245 असम की नदियों में 960 हुगली नदी में 266

कई वन्य जीवों का होगा संरक्षण

डाल्फिन रिसर्च सेंटर फिलहाल पटना साइंस कालेज स्थित पद्मश्री प्रो. आरके सिन्हा के लैब में चलेगा। इसमें काफी उपकरण उहैं। सेंटर में कई अन्य वन्य जीवों का संरक्षण होगा। इसमें डाल्फिन, घडिय़ाल, कछुआ, छल्ला, मंगोलिया, पेंटेड स्टोर्क, बड़ा एवं छोटा गरुड़, मगरमच्‍छ आदि वन्य जीवों का संरक्षण किया जाएगा।

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