बिहारः सचिवालय सेवा संघ ने निकाला रास्ता, सरकार अभी दे प्रमोशन; बाद में जो सुप्रीम कोर्ट चाहे
प्रोन्नति पर अदालती रोक के बावजूद सरकार का काम चल रहा है। अवकाश प्राप्त प्रशाखा पदाधिकारी और अवर सचिव संविदा पर बहाल हो रहे हैं। लेकिन इसके चलते बिना प्रोन्नत हुए अवकाश ग्रहण करने वाले सेवकों में मायूसी भी बढ़ रही है।
राज्य ब्यूरो, पटना: प्रोन्नति पर अदालती रोक के बावजूद सरकार का काम चल रहा है। अवकाश प्राप्त प्रशाखा पदाधिकारी और अवर सचिव संविदा पर बहाल हो रहे हैं। लेकिन, इसके चलते बिना प्रोन्नत हुए अवकाश ग्रहण करने वाले सेवकों में मायूसी भी बढ़ रही है। सचिवालय सेवा संघ ने इसका रास्ता भी निकाला है। संघ ने सशर्त प्रोन्नति देने की मांग की है। यानी सरकार अभी प्रोन्नति दे। बाद में अदालत का जो कुछ फैसला होगा, उसे वे खुशी-खुशी मान लेंगे।
प्रोन्नति के बारे में कोई फैसला न हो पाया
राज्य की सरकारी सेवाओं में 19 अप्रैल 2019 से ही सभी तरह की प्रोन्नति पर रोक है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से पटना हाई कोर्ट के एक आदेश के हवाले से दो साल पहले रोक की अधिसूचना जारी हुई थी। बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। साल भर से कोरोना और उससे पहले समय न मिलने के कारण प्रोन्नति के बारे में कोई फैसला नहीं हो सका।
सरकार ही सुनवाई के लिए अपील कर सकती है
बिहार सचिवालय सेवा संघ के महासचिव अशोक कुमार सिंह ने कहा कि संघ के पास इतना धन नहीं है कि वह सुप्रीम कोर्ट जाकर इस मामले में हस्तक्षेप करे। राज्य सरकार ही जल्द सुनवाई के लिए अपील कर सकती है। इस बीच सरकार अपने स्तर से सशर्त प्रोन्नति दे सकती है। प्रोन्नति बाधित रहने से सरकारी कर्मियों के साथ साथ सरकार को भी नुकसान हो रहा है। संचिकाओं का निष्पादन समय पर नहीं हो रहा है। सरकार अवकाश प्राप्त कर्मियों को संविदा पर बहाल कर रही जो खुद उसकी नीति के विरूद्ध है। मालूम हो कि राज्य सरकार 50 वर्ष की उम्र पार कर चुके सभी कर्मियों के कामकाज की समीक्षा कर रही है। इरादा यह कि काम में कमजोर पाए जाने पर उन्हें विदा कर दिया जाए।
अवकाश प्राप्त कर्मियों से भरा जा रहा
संघ के मुताबिक पिछले दो वर्षों के दौरान प्रोन्नति से भरे जाने कई पद शत प्रतिशत तक रिक्त हो गए हैं। संयुक्त सचिव और उप सचिव के पदों पर प्रोन्नति वाली रिक्तियां शत प्रतिशत हैं। जबकि प्रशाखा पदाधिकारी के 70 फीसद पद खाली हैं। काम चलाने के लिए इन पदों को अवकाश प्राप्त कर्मियों से भरा जा रहा है। संविदा पर दो साल के लिए बहाली होती है।