बिहार में बालू माफिया के खिलाफ और बढ़ेगी सख्ती, अब दो स्तर पर की जाएगी कार्रवाई

पुलिस -प्रशासन की आंखों में धूल झोंक बालू माफिया दिन-रात अवैध खनन में जुटे हैं। जिसका सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है। अब विभाग बालू माफिया के खिलाफ और सख्ती बढ़ाने की योजना बना रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 04:15 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 04:15 PM (IST)
बिहार में बालू माफिया के खिलाफ और बढ़ेगी सख्ती, अब दो स्तर पर की जाएगी कार्रवाई
बिहार में अवैध बालू खनन पर अब सख्ती बढ़ेगी। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : खान एवं भू-तत्व विभाग और पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी बालू घाटों पर अवैध खनन पर अंकुश नहीं लग रहा है। पुलिस -प्रशासन की आंखों में धूल झोंक बालू माफिया दिन-रात अवैध खनन में जुटे हैं। जिसका सीधा असर सरकार के राजस्व पर पड़ रहा है। अब विभाग बालू माफिया के खिलाफ और सख्ती बढ़ाने की योजना बना रहा है। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए एक साथ दो स्तर पर कवायद होगी। एक ओर जहां स्थानीय लोगों की मदद ली जाएगी वहीं घाटों पर रात्रि प्रहरियों की तैनाती भी होगी। 

सूबे की सरकार को खान एवं भू-तत्व विभाग से सालाना 16 सौ से 17 सौ करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता रहा है। अकेले बालू से करीब नौ सौ से 12 सौ करोड़ रुपये सरकार को मिलते हैं। लेकिन विगत एक, डेढ़ वर्षों से सूबे में बालू का अवैध खनन बढ़ा है। राज्य के जिन 24 जिलों में सरकारी बंदोबस्ती के आधार पर खनन होता था वहां 24 में करीब 16 जिलों के घाटों पर बालू माफिया काबिज हो गए हैं। 

बालू तस्करों पर शिकंजा कसने के लिए बीते दिनों सख्त कानून भी लागू किए गए हैं। लेकिन बावजूद घाटों पर अवैध खनन जारी है। सूत्रों के अनुसार अब विभाग ने बालू घाटों पर हो रहे अवैध खनन को समय पर रोकने के लिए घाटों के आसपास रहने वाले नागरिकों से मदद लेने का प्रस्ताव बनाया है। 

नागरिकों का काम सिर्फ खान एवं भू-तत्व विभाग के शिकायत कोषांग को सूचना देनी होगी। वैसे लोगों के नाम गोपनीय रखे जाएंगे। इसके अलावा घाटों पर रात्रि प्रहरी की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है। जिनका काम गुपचुप तरीके से पुलिस और विभाग को यह सूचना देनी होगी कि रात्रि में उनके प्रभार वाले घाट पर अवैध खनन हो रहा है। उनकी सूचना पर पुलिस विभाग का छापामार दस्ता तत्काल कार्रवाई करेगा। सूत्रों ने बताया कि दोनों प्रस्ताव पहले मुख्य सचिव के विचारार्थ भेजे जाएंगे। उनकी सहमति के बाद इस संबंध में अंतिम फैसला लिया जाएगा। 

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