Bihar Politics: महागठबंधन में टूट पर गरमाई बिहार की सियासत, BJP बोली- कांग्रेस को अपमान सहने की आदत
Bihar Politics बिहार का सियासी माहौल गर्म हो गया है। कांग्रेस के महागठबंधन से अलग हाेने पर राजद नेताओं ने कहा है कि भक्त चरण जैसे नेताओं ने कांग्रेस की लुटिया डुबोई है। उधर भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को ऐसे अपमान सहने की आदत है।
पटना, आनलाइन डेस्क। Bihar Politics: बिहार में कांग्रेस और राजद का गठबंधन टूटने की औपचारिक घोषणा हो गई है। कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास ने कह दिया है कि उनकी पार्टी अब राजद के साथ गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उन्होंने यह भी कह दिया कि उनकी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में बिहार की सभी 40 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही बिहार का सियासी माहौल गर्म हो गया है। राजद के साथ ही भाजपा और जदयू के नेता भी इसपर बयानबाजी में जुट गए हैं। राजद के नेताओं ने कहा कि भक्त चरण जैसे नेताओं ने ही कांग्रेस की लुटिया डुबोई है तो भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को ऐसे अपमान सहने की आदत है। दिलचस्प यह है कि राजद-कांग्रेस के बीच इतनी बयानबाजी के बावजूद सोनिया गांधी, राहुल गांधी, लालू यादव या तेजस्वी यादव जैसे नेता इस मसले पर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।
राजद की बदौलत ही बिहार में फिर से जिंदा हुई कांग्रेस
राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह दोनों ने कांग्रेस के व्यवहार पर सवाल उठाए हैं। दोनों नेताओं ने कहा कि भक्त चरण दास और कांग्रेस के दूसरे नेताओं की तरफ से लगातार ही अनर्गल बयान आ रहे हैं। इन नेताओं को बिहार में कांग्रेस के पुराने दिनों की स्मृति नहीं है। राजद की बदौलत ही कांग्रेस बिहार में फिर से जिंदा होने का मौका मिला। इससे पहले राजद के सांसद मनोज झा और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी भी कुछ ऐसे ही बयान दे चुके हैं। बिहार महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अमिता भूषण ने कहा था कि कांग्रेस एक समुद्र की तरह है, जिसमें छोटे-बड़े नदी-नाले आकर समा जाते हैं।
भाजपा ने कहा- कांग्रेस को मिला ज्ञान श्मशान वैराग्य की तरह
भाजपा की ओर से कहा गया है कि राजद के साथ गठबंधन तोड़ने का कांग्रेस का फैसला श्मशान वैराग्य की तरह है। श्मशान जाने के बाद कुछ देर के लिए लोगों में वैराग्य उत्पन्न होने लगता है, लेकिन यह सब बाहर निकलते ही खत्म भी हो जाता है। कांग्रेस के साथ ही ऐसा ही हो रहा है। इस पार्टी को अपमान सहने की आदत हो चुकी है। राष्ट्रीय स्तर की एक पार्टी का ऐसा अपमान शायद ही कभी हुआ हो।