वायु प्रदूषण कम करने को नए पाथवे पर चलेगा बिहार, दो उपायों पर 2040 तक के लिए योजना बनी
Bihar Pollution Control Policy देश में पहली बार किसी प्रदेश में शुरू हुआ यह काम संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के निर्देशन कार्बन पाथ-वे के लिए होगा काम बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से हुआ समझौता प्रोजेक्ट 2040 तक चलेगा
पटना, नीरज कुमार। Bihar Pollution Control Police: कार्बन उत्सर्जन कम करने को बिहार नए पाथवे पर चलेगा। बिहार देश में पहला पाथ-वे वाला प्रदेश होगा। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण प्रोजेक्ट (यूएनईपी) और बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के बीच दो बैठकें हो चुकी हैं और समझौता पत्र तैयार हो चुका है। इसका निर्माण यूएनईपी के निर्देशन में होगा। इस प्रोजेक्ट पर 2040 तक काम किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के तहत कार्बन उत्सर्जन को कम करने के साथ उसके अवशोषण के उपाय भी किए जाएंगे।
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डा. अशोक घोष कहते हैं, दुनियाभर में कार्बन उत्सर्जन वातावरण का तापमान बढ़ा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग की समस्या गंभीर होती जा रही है। ऐसे में कार्बन उत्सर्जन रोकना बहुत जरूरी है। कार्बन पाथ-वे उसी दिशा में उठाया गया कदम है। अब संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की टीम राज्य में कार्बन उत्सर्जन के स्रोतों, उसका स्तर, राज्य के पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगी। उसके बाद उससे निपटने के उपाय भी किए जाएंगे।
क्या है कार्बन पाथ-वे
कार्बन पाथ-वे एक ऐसा क्षेत्र है, जहां कार्बन के उत्सर्जन एवं अवशोषण में संतुलन बना रहे। सामान्यत: स्वच्छ हवा में कार्बन डाइआक्साइड की मात्रा .03 फीसद होनी चाहिए। इससे ज्यादा मात्रा होगी तो वायु को प्रदूषित माना जाएगा। राज्य में कार्बन का उत्सर्जन बढ़ रहा है तो उसके अवशोषण के उपाय भी किए जाएंगे।
जंगल एवं आर्द्र भूमि कार्बन अवशोषण के महत्वपूर्ण माध्यम
विशेषज्ञों का कहना है कार्बन उत्सर्जन को कम करने के साथ उसके अवशोषण के उपाय भी किए जाएंगे। जंगल के हरे पेड़-पौधे एवं आद्र्र भूमि (वेटलैंड) कार्बन के अवशोषण के मुख्य माध्यम हैं। उस दिशा में सरकार द्वारा काम किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने इस वर्ष प्रदेशभर में पांच करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा है। पिछले वर्ष 3.5 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए थे। सरकार ने प्रदेश में 17 फीसद हिस्से को हरित क्षेत्र करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। प्रदेश के आद्र्र भूमि का भी विकास किया जा रहा है। मुख्य रूप से कांवर झील, बरैला झील एवं कुशेश्वर स्थान राज्य के मुख्य वेटलैंड हैं, जिन्हें केंद्र सरकार से मान्यता मिल चुकी है।
कार्बन उत्सर्जन का मुख्य कारण वाहन
मोटर वाहन बिहार में कार्बन उत्सर्जन के प्रमुख कारक हैं। इसके अलावा ईंट-भट्ठे, फैक्ट्री, पराली व कोयला जलाना या गांवों में लकड़ी पर खाना बनना भी कारण है। वाहनों से सर्वाधिक प्रदूषण पटना, गया एवं मुजफ्फरपुर में देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में 20 फीसद कार्बन पड़ोसी राज्यों से आता है। इनमें झारखंड, पश्चिम बंगाल एवं उत्तर प्रदेश शामिल हैं।