बिहार में लालू की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे तेजस्वी, मानसून सत्र में जातिगत जनगणना पर नीतीश को घेरेगा RJD

Bihar Politics आगामी 26 जुलाई से आरंभ हो रहे बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र में आरजेडी जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा। लालू प्रसाद यादव की इस लड़ाई को अब तेजस्वी यादव आगे बढ़ाएंगे। ऐसे में विधानमंडल सत्र में जबरदस्‍त हंगामा के आसार हैं।

By Amit AlokEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 03:05 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 03:08 PM (IST)
बिहार में लालू की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे तेजस्वी, मानसून सत्र में जातिगत जनगणना पर नीतीश को घेरेगा RJD
तेजस्‍वी यादव एवं लालू प्रसाद यादव। फाइल तस्‍वीरें।

पटना, स्‍टेट ब्‍यूरो। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) पीछे हटने वाला नहीं है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने इसपर आवाज बुलंद की थी। अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) की रणनीति 26 जुलाई से शुरू होने वाले बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र (Monsoon Session of Bihar Legislature) के दौरान इस मुद्दे को गर्म करने की है। स्‍पष्‍ट है कि इस मुद्दे पर विपक्ष मुख्‍यमंत्री नीतीश (Nitish Kumar) कुमार सहित सत्तारूढ़ दलों को घेरने की तैयारी में है। तेजस्‍वी ने स्पष्ट किया है कि यह मुद्दा देश की करीब 65 फीसद आबादी के वर्तमान और भविष्य से जुड़ा है।

आरजेडी ने तय की आंदोलन की रूपरेखा

आरजेडी ने जातिगत जनगणना के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है और आगे भी लड़ते रहेगा। आरजेडी में आंदोलन की रूपरेखा तय किया जा रहा है। जरूरत पड़ी तो विपक्ष के सभी दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास किया जाएगा। तेजस्वी का तर्क है कि सत्ता पक्ष को घेरने के लिए विपक्ष के पास यह बड़ा हथियार साबित हो सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों से जातिगत जनगणना के पक्ष में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया था। इसमें भारतीय जनता पार्टी की भी सहमति थी। अब क्या हो गया कि बीजेपी की केंद्र सरकार इससे पीछे हट रही है। बिहार के प्रस्ताव को खारिज कर रही है।

जातिगत जनगणना में अतिरिक्त खर्च नहीं

तेजस्वी ने कहा है कि जनगणना में जानवरों को भी गिना जाता है। कुत्ते-बिल्ली, हाथी-घोड़े, शेर-सियार, साइकिल-स्कूटर सबकी गिनती होती है। यहां तक कि विभिन्न धर्मों के लोगों की भी गिनती होती है। किंतु उस धर्म के वंचित, उपेक्षित और पिछड़े समूहों की संख्या बताने में सरकार को क्या परेशानी हो सकती है। जनगणना वाले फार्म में महज एक कालम ही जोड़ना पड़ेगा न। अतिरिक्त खर्च भी नहीं होना है।

लालू की लाइन पर चल रहे तेजस्‍वी यादव

विदित हो कि जातिगत जनगणना आरजेडी की पुरानी मांग रही है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इसे लेकर समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं। दिसंबर 2019 के एक ट्वीट में लालू ने कहा था कि 'कथित एनपीआर व एनआरसी तथा 2021 की जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। । एनपीआर में अनेक अलग-अलग कॉलम जोड़ रहे हैं। ऐसे में जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में भला क्या दिक्कत है? अब तेजस्‍वी भी उसी लाइन पर चलते हुए जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाते दिख रहे हैं।

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