Bihar Politics: राजद का सरकार पर निशाना, लालू-राबड़ी सरकार की तुलना में चार गुना बढ़े अपराध

राजद के प्रवक्ताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर एनडीए सरकार पर निशाना साधा है। राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो के हवाले से कहा है कि राजद के शासनकाल के समय प्रतिदिन औसतन चार अपहरण होते थे आज 16 हो रहे हैं।

By Vyas ChandraEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 08:16 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 08:16 PM (IST)
Bihar Politics: राजद का सरकार पर निशाना, लालू-राबड़ी सरकार की तुलना में चार गुना बढ़े अपराध
राबड़ी देवी एवं लालू प्रसाद यादव। फाइल फोटो

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। राजद (RJD) ने बिहार में अपराध (Crime in Bihar) के लिए भाजपा-जदयू सरकार (NDA Government) को जिम्मेदार ठहराया है। कहा है कि राजद सरकार की तुलना में आज राज्य में तीन से चार गुना अपराध बढ़े हैं। खासकर महिलाओं के खिलाफ। राजद ने नीतीश कुमार को नरसंहार मुक्‍त बिहार सौंपा था। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन, मृत्युंजय तिवारी, एजाज अहमद एवं सारिका पासवान ने बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला दिया। 

राजद सरकार की तुलना में दोगुने हो गए अपराध 

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि राजद सरकार में हर घंटे औसतन 11 मामले दर्ज होते थे, जो आज लगभग दुगुना हो गए हैं। दुष्कर्म के मामलों में सौ फीसद वृद्धि हुई है। राजद सरकार में हर दिन दो मामले दर्ज होते थे, जो आज चार हो गए। अपहरण में चार गुना इजाफा है। राजद के समय प्रतिदिन चार अपहरण होते थे। अब 16 अपहरण हो रहे हैं।

नीतीश कुमार को सौंपा था नरसंहार मुक्‍त बिहार 

राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि भाजपा-जदयू के नेता झूठ के सहारे सत्ता में आए। फर्जी आंकड़े पेश कर 16 वर्षों से जनता को गुमराह कर रहे हैं। तथ्यों के आधार पर बहस से बचते हैं। नरसंहारों (Massacre) का दौर 1976 से ही शुरू था। विरासत में मिली नरसंहारों को राजद शासनकाल में नियंत्रित किया गया। राबड़ी देवी के दूसरे कार्यकाल में (2001-2005) एक भी नरसंहार नहीं हुआ। उन्होंने नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) को नरसंहार मुक्त बिहार सौंपा था। किंतु दो साल के भीतर ही 10 अक्तूबर 2007 में खगडिय़ा के अलौली में बड़ा नरसंहार हुआ जिसमें दर्जन भर लोगों की हत्या कर दी गई। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि सच यह भी है कि एनडीए सरकार ने अदालतों में सही तरीके से पक्ष नहीं रखा, जिसके चलते नरसंहारों के अभियुक्त बरी होते गए, जबकि राजद सरकार के दौरान ऐसे मामलों में सजा हुई थी। 

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