Bihar Politics: राजद का सरकार पर हमला, आश्वासन देकर भी पूरी नहीं की रघुवंश बाबू की इच्छा
राजद नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह के निधन के एक वर्ष बाद एक बार फिर उनपर राजनीति शुरू हो गई है। राजद ने जदयू और भाजपा पर उनके इस्तीफे की गलत व्याख्या का आरोप लगाया है।
पटना, राज्य ब्यूरो। राजद ने समाजवादी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह (Dr Raghuvansh Prasad Singh) पर दावेदारी बढ़ा दी है। जदयू-भाजपा (JDU-BJP) पर रघुवंश बाबू के इस्तीफे की गलत व्याख्या का आरोप लगाते हुए राजद ने प्रायश्चित करने की सलाह दी है। राजद कार्यालय में बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, सारिका पासवान एवं प्रशांत मंडल ने जदयू और भाजपा पर निशाना साधा। कहा कि निधन से पहले रघुवंश बाबू के लिखे गए पत्र लालू प्रसाद (RJD Supremo Lalu Prasad) के साथ उनके आत्मीय संबंधों की अभिव्यक्ति है। उन पत्रों को रघुवंश बाबू के इस्तीफे के रूप में प्रचारित किया गया।
पत्र में इस्तीफा की नहीं थी चर्चा
राजद नेताओं ने रघुवंश के आखिरी पत्र का भावार्थ बताते हुए कहा कि अपने अंत समय का आभास होने पर उन्होंने लालू प्रसाद को लिखा कि 32 वर्षों से आपके पीछे खड़ा रहा, पर अब नहीं। उन्होंने आमजन से भी माफी मांगी। दरअसल, उनका आशय था कि लालू प्रसाद से तीन दशक का साथ छूटने वाला है। अगर यह इस्तीफा होता तो आमजन से माफी क्यों मांगते।
राज्य सरकार ने किया उनका अपमान
राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि मृत्यु से तीन दिन पहले 10 सितंबर को रघुवंश प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी पत्र लिखकर तीन इच्छाएं जताई थीं। भगवान बुद्ध (Lord Buddha) के भिक्षा पात्र को अफगानिस्तान से लाने, वैशाली को गणतंत्र दिवस पर सम्मान देने और खेतिहर मजदूरों को मनरेगा के तहत भुगतान करने की मांग की थी, जिसे आश्वासन के बाद भी सरकार ने पूरा नहीं किया। यह उनका अपमान है। प्रेस कान्फ्रेंस में पीके चौधरी, संजय यादव, निर्भय अंबेडकर, प्रमोद राम, चंदेश्वर प्रसाद सिंह एवं उपेंद्र चंद्रवंशी भी मौजूद थे।
मालूम हो कि रघुवंश प्रसाद सिंह के आखिरी वक्त में लिखे गए पत्र को लेकर सियासत खूब गर्म हुई थी। राजद पर उन्हें अपमानित और उपेक्षित करने का आरोप लगाया गया था। ऐसे में राजद ने पलटवार कर जदयू और भाजपा को ही घेरने का प्रयास किया है।