Bihar: लोजपा अपने संविधान से चलेगी न कि चिराग के ताकत दिखाने से, चाचा पशुपति पारस ने दिया ये जवाब

Bihar Politics पारस ने कहा कि पार्टी संविधान से चलती है भीड़ जुटाकर ताकत दिखाने से नहीं। चिराग रैली कर रहे थे। मैंने देखा कि उन्होंने बसों से लादकर लोगों को बुलाया था। ऐसा लगा कि दिल्ली की फैक्ट्रियों से मजदूरों को उठा लाया गया हो।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 07:10 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 07:10 AM (IST)
Bihar: लोजपा अपने संविधान से चलेगी न कि चिराग के ताकत दिखाने से, चाचा पशुपति पारस ने दिया ये जवाब
पशुपति पारस और चिराग पासवान। फाइल फोटो

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: लोजपा (पारस गुट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने दिल्ली में चिराग पासवान की कार्यकारिणी की बैठक को असंवैधानिक करार दिया है। चिराग पर पलटवार करते हुए पारस ने कहा कि लोजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक 17 जून को पटना में हो गई और  सर्वसम्मति से उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। चिराग द्वारा बुलाई गई बैठक असंवैधानिक है। पार्टी संविधान के खिलाफ है।  बता दें कि चिराग ने रविवार को दिल्‍ली स्थित अपने आवास पर राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी। उनके गुट ने दावा कि राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी का बहुमत उनके साथ है। उन्‍होंने अपने चाचा पशुपति पारस को पार्टी का सिंबल और नाम नहीं इस्‍तेमाल करने की भी नसीहत दी।

भीड़ की ताकत से नहीं चलेगी पार्टी

पारस ने कहा कि पार्टी संविधान से चलती है, भीड़ जुटाकर ताकत दिखाने से नहीं। चिराग रैली कर रहे थे। मैंने  देखा कि उन्होंने बसों से लादकर लोगों को बुलाया था। ऐसा लगा कि दिल्ली की फैक्ट्रियों से मजदूरों को उठा लाया गया हो। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में चुने हुए लोग होते हैं। उसमें भीड़ जुटाने की क्या जरूरत है। इधर, चिराग ने दिल्‍ली में कहा कि उन्‍हें अपने ही लोगों ने धोखा दिया। उनकी पीठ में छूरा भोंका गया, जबकि पिता राम विलास पासवान के निधन के अभी एक साल भी पूरे नहीं हुए थे।

चिराग की आशीर्वाद यात्रा पर जताई खुशी

चिराग की आशीर्वाद यात्रा पर पारस ने कहा कि मुझे खुशी होगी, अगर चिराग हाजीपुर से यात्रा शुरू करेंगे। हाजीपुर को मेरे भाई रामविलास पासवान अपनी मां कहते थे। मेरा क्षेत्र होने से पहले बड़े भैया वहां के प्रतिनिधि रहे हैं। चिराग आज पहली बार रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग कर रहे हैं। मैने तो बड़े भाई की मौत के साथ ही कहा था कि दूसरा अंबेडकर चला गया। सरकार 12 जनपद को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करे और उन्हेंं भारत रत्न दे। चिराग ने एक दिन भी संसद में यह मांग नहीं उठाई।

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