NDA में ब्रेक-अप पर गरमाई सियासत: विपक्ष ने ली चुटकी तो JDU-BJP ने क्‍या कहा, जानिए

महराष्‍ट्र में भाजपा और शिवसेना की दोस्‍ती टूट गयी है। इसे लेकर बिहार में भी हलचल मचा हुआ है। विरोधी पूरे मामले पर जहां चुटकी ले रहे हैं। वहीं जदयू ने अफसोस जाहिर किया है।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 08:10 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 09:53 PM (IST)
NDA में ब्रेक-अप पर गरमाई सियासत: विपक्ष ने ली चुटकी तो JDU-BJP ने क्‍या कहा, जानिए
NDA में ब्रेक-अप पर गरमाई सियासत: विपक्ष ने ली चुटकी तो JDU-BJP ने क्‍या कहा, जानिए

पटना, जेएनएन। महाराष्‍ट्र में बीजेपी और शिवसेना की वर्षों पुरानी दोस्‍ती टूट गई है। शिवसेना कोटे से बने केंद्रीय मंत्री ने नरेंद्र मोदी की सरकार से इस्‍तीफा दे दिया है। महाराष्‍ट्र में बढ़ी राजनीतिक हलचल को लेकर बिहार में भी सरगर्मी तेज है। विरोधी जहां बीजेपी पर हमला करते हुए चुटकी ले रहे हैं, वहीं, जदयू ने टूटे रिश्‍ते पर अफसोस जाहिर किया है। दूसरी ओर बीजेपी ने खुद का बचाव किया है।

भाजपा व शिवसेना की बीच अब कोई संबंध नहीं रहा। इसे लेकर बिहार में विरोधियों का हमला शुरू हो गया है। कांग्रेस के प्रवक्‍ता व विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कमेंट करते हुए कहा कि एनडीए में बिखराव बीजेपी की सेहत के लिए ठीक नहीं है। उन्‍होंने कहा कि महाराष्‍ट्र के अलावा झारखंड में भी एनडीए में बिखराव हो रहा है। वहीं राजद प्रवक्‍ता मृत्‍युंजय तिवारी ने भी कड़ा हमला किया। उन्‍होंने कहा कि बीजेपी से अब सहयोगी दल नहीं संभल रहा है। एनडीए में बिखराव इसी का परिणाम है।

उधर, जदयू के राष्‍ट्रीय महासचिव केसी त्‍यागी ने एनडीए से शिवसेना के बाहर निकलने को अफसोसजनक बताया। उन्‍होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जदयू, अकाली दल और शिवसेना एनडीए गठबंधन में जन्‍मकाल से ही शामिल हैं। ऐसे में शिवसेना के एनडीए से बाहर निकलना अफसोस की बात है। वहीं, बीजेपी के प्रवक्‍ता निखिल आनंद ने कहा कि हमारी गाड़ी से जो भी दल उतरेगा, उसका कोई नामलेवा नहीं होगा। बीजेपी से अलग होने का खामियाजा पहले भी कई पार्टियां भुगत चुकी हैं।  

उधर, रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने भी तीखा कमेंट किया है। उनहोंने ट्वीट कर कहा कि 24/10 को चुनाव परिणाम की घोषणा के उपरांत महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सबसे बड़े दल को लगभग दो सप्ताह का समय दिया गया, दूसरे दल को दो दिनों का और तीसरे को एक दिन का भी नहीं, फिर कैसा लोकतंत्र ? क्या हमारे पुरखों ने इसी लोकतंत्र की परिकल्पना की थी? उन्‍होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि चाहे झारखंड हो या बिहार लोग अब इनसे परिचित हो चुके हैं। NDA की दाल अब कहीं गलने वाली नहीं है। महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन या दुबारा चुनाव ठीक नहीं।

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