किसान आंदोलन को बिहार में जोर देने की कोशिश, 26 जनवरी को ट्रैक्‍टर मार्च की तैयारी में माले

किसान आंदोलन को बिहार में कोई रिस्‍पांस नहीं मिल रहा है। अलबत्‍ता विरोधी दलों के नेता इसे हवा देने में जरूर जुटे हैं। इसी कड़ी में कम्युनिस्‍ट पार्टियां 26 जनवरी को ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 11:17 AM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 11:17 AM (IST)
किसान आंदोलन को बिहार में जोर देने की कोशिश, 26 जनवरी को ट्रैक्‍टर मार्च की तैयारी में माले
कम्युनिस्‍ट पा‍र्टियां दे रहीं किसान आंदोलन का साथ। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Farmers's Movement in Bihar: किसान आंदोलन को बिहार में कोई रिस्‍पांस नहीं मिल रहा है। अलबत्‍ता विरोधी दलों के नेता इसे हवा देने में जरूर जुटे हैं। इसी कड़ी में कम्युनिस्‍ट पार्टियां 26 जनवरी को ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में हैं।

भाकपा माले ने दी आंदोलन की तैयारियों की जानकारी

किसान आंदोलन के समर्थन में भाकपा माले की ओर से 26 जनवरी को ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। माले के राज्य सचिव कुणाल ने रविवार को यह जानकारी पत्रकारों को दी उन्होंने कहा कि जिला व प्रखंड मुख्यालयों पर पार्टी व अखिल भारतीय किसान महासभा के संयुक्त बैनर से ट्रैक्टर मार्च निकलेगा। इसकी सारी तैयारियां चल रही हैं।

30 जनवरी को मानव शृंखला को सफल बनाने की तैयारी

उन्होंने कहा कि तीनों कृषि कानूनों को रद करने और प्रस्तावित बिजली बिल 2020 की वापसी की मांग पर 30 जनवरी को महागठबंधन के आह्वान पर आहूत मानव शृंखला की तैयारी पूरे जोर शोर से चल रही है। 25 जनवरी को सभी जिला मुख्यालयों पर मशाल जुुलूस भी निकाला जाएगा। उन्होंने श्ह भी कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के गिरते स्वास्थ्य के आधार पर उन्हें रिहा किया जाना चाहिए। वे कई गंभीर बीमारियों की चपेट में हैं और अपनी सजा आधी से ज्यादा काट ली है।

बिहार में किसान आंदोलन को नहीं मिल रहा समर्थन

बिहार में किसान आंदोलन को कोई खास समर्थन नहीं मिल रहा है। बिहार के ज्‍यादातर किसान नये कृषि कानूनों पर समर्थन में या फिर मौन हैं। विपक्षी दलों ने बिहार की राजधानी पटना में कई बार इस मुद्दे पर प्रदर्शन भी किया है, लेकिन ऐसे आंदोलनों में किसानों की भागीदारी कम ही दिखी है। ऐसे आंदोलनों में ज्‍यादातर पार्टी कार्यकर्ता ही दिखाई पड़े हैं। ऐसे में 26 जनवरी को माले के ट्रैक्‍टर मार्च का क्‍या होगा, इसके बारे में अनुमान लगाना ज्‍यादा मुश्किल नहीं है।

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