लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुझे कोई नहीं हटा सकता, चिराग ने चाचा पारस को बताया धोखेबाज

पार्टी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पद से तभी हटाया जा सकता है जब कि उसकी मृत्यु हो जाए या फिर वह इस्तीफा दे दे। अभी मैंने इस्तीफा नहीं दिया है। इसलिए मैं ही लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। इस पद से मुझे हटाया नहीं जा सकता है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 07:36 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 07:36 PM (IST)
लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से मुझे कोई नहीं हटा सकता, चिराग ने चाचा पारस को बताया धोखेबाज
चिराग पासवान को अपनी पार्टी में विरोध का करना पड़ रहा सामना। फाइल फोटो

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पर नियंत्रण के लिए संघर्ष कर रहे चिराग पासवान बुधवार को दिल्‍ली में पहली बार मीडिया के सामने आए। चाचा पशुपति कुमार पारस पर पार्टी और परिवार को तोडऩे का आरोप लगाया। कहा कि चाचा के धोखे से हम अनाथ हो गए। बुधवार को चिराग दिल्ली स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से मुखातिब थे। उन्होंने कहा कि ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद से मुझे हटा दिया गया है, लेकिन पार्टी के संविधान के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष को पद से तभी हटाया जा सकता है, जब कि उसकी मृत्यु हो जाए या फिर वह इस्तीफा दे दे। अभी मैंने इस्तीफा नहीं दिया है। इसलिए मैं ही लोजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं। इस पद से मुझे हटाया नहीं जा सकता है।

चिराग ने संसदीय दल के नेता पद से हटाने को भी असंवैधानिक बताया और कहा कि लोकसभा में पार्टी नेता की नियुक्ति का फैसला संसदीय समिति करती है, नहीं कि निर्वाचित सांसद। चिराग जदयू पर भी बरसे और आरोप लगाया कि लोजपा को तोडऩे की साजिश तब से की जा रही है, जब उनके पिता रामविलास पासवान जीवित थे। जब वे अस्पताल में थे, तभी से कुछ लोग पार्टी को तोडऩे की कोशिश कर रहे हैं। बकौल चिराग, मेरे पिता नेे यह बात पार्टी नेताओं को कही थी। चाचा पारस को भी बताया था, लेकिन कुछ लोग उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे, जिनसे होकर हम गुजरे थे।

पशुपति कुमार पारस को लेकर चिराग ने कहा कि जब मेरे पिता और चाचा रामचंद्र पासवान का निधन हुआ, तो मैं  उन्हें देखा करता था। जब मेरे पिता मुझे छोड़कर चले गए, तो मैं अनाथ नहीं हुआ था. लेकिन जब मेरे चाचा ने ऐसा किया, तो मैं अनाथ हो गया। मेरे बीमार रहने के दौरान इस साजिश को अंजाम दिया गया। उस वक्त मैंने चाचा पारस से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन मैं नाकाम रहा।

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