बिहार पुलिस अब मामलों को लटका कर नहीं रख सकेगी, मुख्‍यालय से होगी दारोगा से एसपी तक की मानिटरिंग

लंबित मामलों के निबटारे के लिए जिले में पिछले तीन-चार माह में हुए अपराध का लेखा-जोखा देखा जाएगा। इस दौरान थाना क्षेत्र में कितने अपराध हुए इसमें कितने मामलों की जांच निष्कर्ष तक पहुंची इन सारी बातों का स्पष्ट उल्लेख करना होगा।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 04:40 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 04:40 PM (IST)
बिहार पुलिस अब मामलों को लटका कर नहीं रख सकेगी, मुख्‍यालय से होगी दारोगा से एसपी तक की मानिटरिंग
बिहार पुलिस ने लंबित मामलों की मानिटरिंग के लिए विकसित किया सिस्‍टम। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Police Investigation Monitoring Cell: बिहार में लंबित मामलों की निगरानी के लिए बनाया गया इन्वेस्टिगेशन मानीटरिंग सेल (आइएमएस) अपराध अनुसंधान विभाग (सीआइडी) के अंतर्गत काम करेगा। इसका मकसद राज्य भर के थानों में लंबित मामलों का जल्द से जल्द निबटारा करना होगा। इसके लिए थाना स्तर से लेकर एसपी स्तर तक अनुसंधान पर नजर रखने की व्यवस्था बनाई जाएगी, ताकि किसी भी स्तर पर लापरवाही पकड़ में आ सके। मानीटरिंग सेल न केवल थाना और जिलास्तर पर लंबित मामलों की मानीटरिंग करेगा, बल्कि इसके सीनियर पदाधिकारी यह भी बताएंगे कि कम समय में कैसे जांच को निष्कर्ष तक पहुंचाया जाए। इसके लिए पुलिसकर्मियों को समय-समय पर प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

तीन-चार माह के अपराध पर नजर

लंबित मामलों के निबटारे के लिए जिले में पिछले तीन-चार माह में हुए अपराध का लेखा-जोखा देखा जाएगा। इस दौरान थाना क्षेत्र में कितने अपराध हुए, इसमें कितने मामलों की जांच निष्कर्ष तक पहुंची, इन सारी बातों का स्पष्ट उल्लेख करना होगा।

मुख्यमंत्री ने छह माह पहले दिए थे संकेत

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनवरी में पुलिस मुख्यालय में अपराध की समीक्षा बैठक के बाद से ही लंबित मामलों के जल्द से जल्द निबटारे का निर्देश दिया था। इसकी जवाबदेही सीआइडी को दी गई थी। इसके बाद पुलिस मुख्यालय स्तर पर निर्देश जारी कर सभी एसपी को लंबित मामलों की मानीटरिंग करने का भी निर्देश दिया गया था। इतना ही नहीं, एडीजी स्तर के अधिकारी को हर जिले में जाकर वहां अपराध के साथ लंबित मामलों को लेकर बैठक करनी थी। लाकडाउन के पहले कई जिलों में एडीजी स्तर के अधिकारियों ने दौरा भी किया था।

सीसीटीएनएस से होगा फायदा

लंबित मामलों की निगरानी में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (सीसीटीएनएस) भी अहम भूमिका निभाएगा। अभी राज्य के 894 थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ लिया गया है। सीसीटीएनएस नेटवर्क के माध्यम से एफआइआर से लेकर अपराधियों का डाटा तक पुलिस के नेटवर्क पर उपलब्ध होगा जिसे एक क्लिक से राज्य के किसी भी थाने से देखा जा सकेगा। इससे मुख्यालय स्तर से भी लंबित मामलों की सीधे मानीटरिंग हो सकेगी।

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