बिहार में नहीं हुए पंचायत चुनाव तो परिषद में भाजपा हो जाएगी आधी, राजद पर पड़ेगा ये असर

Bihar Panchayat Election news पंचायत चुनाव समय पर नहीं हुए तो बिहार विधान परिषद की सूरत भी बदल जाएगी। सत्तारूढ़ दल की संरचना पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा। सबसे अधिक भाजपा पर पड़ेगा। जानें कैसे होगा यह।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 04:33 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 04:33 PM (IST)
बिहार में नहीं हुए पंचायत चुनाव तो परिषद में भाजपा हो जाएगी आधी, राजद पर पड़ेगा ये असर
बिहार में पंचायत चुनाव को भाजपा पर पड़ेगा असर। प्रतीकात्मक तस्वीर।

अरुण अशेष, पटना: कोरोना के चलते पंचायत चुनाव समय पर नहीं हुए तो बिहार विधान परिषद की सूरत भी बदल जाएगी। सत्तारूढ़ दल की संरचना पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा। सबसे अधिक भाजपा पर पड़ेगा। परिषद में उसकी सदस्य संख्या आधी हो जाएगी। राजद पर अधिक असर इसलिए नहीं पड़ेगा, क्योंकि स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार से जीते उसके चार में से दो सदस्य पहले ही दल बदल कर जदयू में शामिल हो गए थे। वही हाल लोजपा का है। लोजपा टिकट पर जीती नूतन सिंह भाजपा में शामिल हो गई थीं। 

स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार से 24 सदस्य विधान परिषद के लिए चुने जाते हैं। कायदे से इसका द्विवार्षिक चुनाव होना है। यानी हरेक दो साल पर आठ सदस्यों का निर्वाचन होना है। लेकिन, राज्य में लंबे समय तक पंचायतों के चुनाव नहीं हुए, इसके चलते विधान परिषद चुनाव भी बाधित रहा। 2009 में सभी 24 सीटों पर चुनाव हुए। सभी 24 सीटें एक साथ भर गईं। 2015 में भी सभी सीटों पर एकसाथ चुनाव हुए। हालांकि, अबतक यह तय नहीं हुआ है कि 2021 में सभी सीटों पर एक साथ चुनाव होंगे या द्विवार्षिक चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी।  फिर भी पिछले चुनाव के जीते उम्मीदवार चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। 

निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं मतदाता

स्थानीय क्षेत्र के इस चुनाव के मतदाता पंचायत और नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधि होते हैं। क्षेत्र के लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों और विधायकों-विधान पार्षदों को भी मताधिकार है। लेकिन, हार जीत का निर्धारण पंचायतों-नगर निकायों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के मतों से ही होता है। पिछली बार भी पंचायत चुनाव के तुरंत बाद विधान परिषद का चुनाव हुआ था। 11 जून को अधिसूचना निर्गत हुई थी। सात जुलाई को मतदान हुआ और 10 जुलाई 2015 को परिणाम घोषित कर दिए गए। 17 जुलाई 2015 से नए सदस्यों का कार्यकाल शुरू हुआ था। वह इस साल 16 जुलाई को समाप्त हो जाएगा।

भाजपा की हुई थी बड़ी जीत

2015 के चुनाव में सबसे अधिक 11 सीटें भाजपा के खाते में आई थीं। निर्दलीय अशोक कुमार अग्रवाल भाजपा में शामिल हो गए। इधर, हाल में लोजपा की नूतन सिंह भी भाजपा में शामिल हो गईं। अगर समय पर चुनाव नहीं हुए तो परिषद में भाजपा की सीटें 26 से घटकर 14 पर आ जाएंगी। स्थानीय क्षेत्र से दरभंगा से जीते सुनील कुमार सिंह का निधन हो गया है।

पांच पर जीता था जदयू

जदयू की पांच सीटों पर जीत हुई थी। भोजपुर और मुंगेर से राजद के टिकट पर चुनाव जीते क्रमश: राधा चरण सेठ और संजय प्रसाद जदयू में शामिल हो गए। इस तरह जदयू सदस्यों की संख्या सात हुई। उसके एक सदस्य मनोज कुमार यादव विधायक बन गए। जबकि दूसरे सदस्य दिनेश प्रसाद सिंह निलंबित हैं। यह संभावना कम ही है कि वह फिर जदयू टिकट पर चुनाव लड़ेंगे। मोटे तौर पर जदयू के सदस्यों की संख्या पांच कम होगी। परिषद में अभी इसके 29 सदस्य हैं। कांग्रेस के सिर्फ एक सदस्य राजेश राम पश्चिमी चंपारण से चुनाव जीते थे। कांग्रेस की एक संख्या घटेगी। 

घाटे में रहा राजद

राजद की चार सीटों पर जीत हुई थी। पटना से जीते रीतलाल सदन के भीतर राजद के सह सदस्य थे। वे विधायक बन गए हैं। उसके दो सदस्य जदयू में चले गए हैं। सीतामढ़ी से जीते दिलीप राय जदयू में शामिल होकर विधायक बन गए। इसलिए आज की तारीख में राजद की सदस्य संख्या में सिर्फ एक की कमी होगी। वैशाली स्थानीय क्षेत्र से जीते सिर्फ सुबोध राय उसके साथ रह गए हैं। 

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