बिहार में पंचायत चुनाव के लिए फिर से होगी मतदान केंद्रों की पहचान, आयोग को मानसून जाने का इंतजार
राज्य निर्वाचन आयोग के लिए यह पहला अनुभव है जब उसे बाढ़ के बाद आम चुनाव कराना पड़ेगा। मानसून के बाद आयोग एक बार फिर नए सिरे से राज्य में चिह्नित किए गए मतदान केंद्रों (बूथों) का सत्यापन कराएगा।
राज्य ब्यूरो, पटना : राज्य निर्वाचन आयोग दिसंबर के पहले पंचायत चुनाव कराने की तैयारी में जुट गया है। आयोग के लिए यह पहला अनुभव है, जब उसे बाढ़ के बाद आम चुनाव कराना पड़ेगा। मानसून के बाद आयोग एक बार फिर नए सिरे से राज्य में चिह्नित किए गए मतदान केंद्रों (बूथों) का सत्यापन कराएगा।
इस साल जनवरी में पंचायत चुनाव के लिए राज्य भर में करीब 1.20 लाख बूथ चिह्नित किए गए थे। इसमें बूथों के सत्यापन से लेकर ईवीएम के मूवमेंट कप्लान के साथ 10 चरणों में चुनाव की तैयारी थी, लेकिन ईवीएम विवाद और फिर कोरोना ने आयोग के सभी तैयारियों पर पानी फेर दिया था। अब कोशिश है कि बरसात के बाद चुनाव तैयारियों को अमली जामा पहना दिया जाए।
बारिश का भी पड़ेगा असर
दरअसल, बारिश के कारण प्रदेश के 30 जिले प्रभावित होते हैं। इन जिलों के करीब तीन सौ प्रखंडों को बाढ़ प्रभावित करती है। यही नहीं, बारिश के कारण ग्रामीण क्षेत्र में अवस्थित करीब ढाई हजार ग्राम पंचायत या तो आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से प्रभावित होती है। ग्राम पंचायतों के प्रभावित होने के कारण ही आयोग एक बार फिर से बूथों का भौतिक सत्यापन कराएगा। इससे यह जानकारी मिल जाएगी कि कितनी पंचायतों के स्थायी और अस्थायी बूथ प्रभावित हुए हैं। उसके बाद जिलों को प्रभावित बूथों के फिर से भौतिक सत्यापन कराकर चुनाव कराया जाएगा।
करीब ढाई लाख पदों के लिए होना है चुनाव
राज्य की करीब आठ हजार ग्राम पंचायतों के करीब ढाई लाख पदों के लिए चुनाव कराया जाना है। सत्यापन में यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वर्तमान मुखिया के घर के सौ मीटर के अंदर किसी भी बूथ का गठन नहीं हो। किसी व्यक्ति के निजी भवन या परिसर में बूथ नहीं बनेगा। किसी थाना, अस्पताल, डिस्पेंसरी, मठ-मंदिर या धाॢमक महत्व के स्थानों पर बूथ नहीं बनाया जाएगा। सन् 2016 में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में राज्य में एक लाख 19 हजार बूथ बनाए गए थे। इस बार करीब तीन सौ पंचायतों की संख्या कम हो गई है। ऐसे में पूर्व में गठित बूथों की समीक्षा होगी। जहां मतदान स्थल के परिवर्तन की जरूरत है, उसके लिए जिलों द्वारा आयोग को पूर्ण कारणों की जानकारी देनी होगी और आयोग की सहमति मिलने पर ही नए स्थान पर बूथों का गठन किया जा सकेगा।