बिहार पंचायत चुनाव 2021: पर्दे के पीछे राजनीतिक दलों की गुटबाजी तेज, चल रहा बड़ा सियासी खेल

भले ही पंचायत का चुनाव आधार पर नहीं हो रहा है इसके बावजूद भी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने समर्थकों को मैदान में उतारने की कवायद शुरू कर दिए हैं। हालांकि यह सारा काम अभी पर्दे के पीछे से हो रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 05:14 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 05:14 PM (IST)
बिहार पंचायत चुनाव 2021: पर्दे के पीछे राजनीतिक दलों की गुटबाजी तेज, चल रहा बड़ा सियासी खेल
पंचायत चुनाव में पर्दे के पीछे से दल भी सक्रिय हो गए हैं। सांकेतिक तस्वीर।

जागरण संवाददाता, डुमरांव (बक्सर): त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में आम लोगों के साथ नहीं राजनीति से सरोकार रखने वाले लोगों की सक्रियता बढ़ गई है। भले ही पंचायत का चुनाव आधार पर नहीं हो रहा है, इसके बावजूद भी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने समर्थकों को मैदान में उतारने की कवायद शुरू कर दिए हैं। हालांकि, यह सारा काम अभी पर्दे के पीछे से हो रहा है। 

पांच साल के बाद गांव की सरकार के लिए शुरू हुए महासंग्राम में जिला परिषद, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य वार्ड सदस्य और वार्ड पंच के लिए अभ्यर्थियों की खोज जारी है। अनुमंडल के विभिन्न प्रखंडों में चरण वाइज पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पंचायत चुनाव में कुछ राजनीतिक दल विशेष के दावेदारों की सक्रियता बढ़ गई है। फिलहाल ग्रामीण इलाकों में दलीय निष्ठा और गुटबाजी के साथ नहीं चुनाव लडऩे और एक दूसरे पद से सहमति बनाने का भी खेल चल रहा है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता अपने खास समर्थकों पर सहमति बनाने का प्रयास पर्दे के पीछे से कर रहे हैं।

सरपंचों के अधिकार बढ़े तो पद के लिए भी बढ़ी दावेदारी 

सरकार द्वारा इस बार सरपंचों को विकास योजनाओं में अधिकार दिए जाने की घोषणा के बाद इस पद के लिए भी मुखिया की तरह दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। इसके पहले के पंचायत चुनावों में सरपंच के पद को लेकर प्रत्याशियों में कोई खास उत्साह नहीं रहता था। लेकिन इस बार सरपंच पद के दावेदारों की संख्या बढ़ गई है। कई पंचायतों में जो लोग सिर्फ मुखिया पद को लेकर पंचायत चुनाव में भाग्य आजमाते रहे हैं, उसमें से अब कुछ का झुकाव सरपंच पद के लिए भी बढ़ता जा रहा है। जहां पिछले पंचायत चुनाव में सरपंच पद के लिए एक पंचायत में दो से चार लोग ही नामांकन करते थे, वहीं इस बार दावेदारों की संख्या में वृद्धि हुई है। 

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