बिहार पंचायत चुनाव 2021: SP से लेकर MP तक जोड़ रहे जनता के दरबार में हाथ! थोड़ा अलग है मामला
Bihar Panchayat Election 2021 बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर रस्साकशी तेज हो गई है। एमपी यानि मुखिया पति। एसपी यानी समिति पति या सरपंच पति जीपी यानी जिला परिषद के पति और अपने कमिश्नर साहब जनता के दरबार में पहुंच रहे हैं।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर: एमपी साहब, एसपी साहब, जीपी साहब, पीपी साहब के अलावा अपने कमिश्नर साहब। कई और साहब भी सुबह से लेकर शाम तक जनता के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। चौंकिए नहीं साहब। यह आधी आबादी के हमसफर साहब लोग हैं। एमपी यानि मुखिया पति। एसपी यानि समिति पति या सरपंच पति, जीपी यानि जिला परिषद के पति और अपने कमिश्नर साहब तो हैं ही। अपने कमिश्नर साहब की चर्चा पंचायतों में खास है। सरकार ने उन्हें जल मंत्रालय की कमान जो सौंप दी थी। मालामाल हो गए हैं। यह मैं नहीं कह रहा, पंचायतों में चर्चा खास है। कई कमिश्नर साहब पर तो थाने में लाखों रुपये डकार लेने की प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी है। लोकतंत्र में महान जनता की जब बारी आयी है तो सभी को जवाब देते नहीं बन रहा है। जनता हिसाब मांग रही है तो बेचारे पतली गली से निकल जा रहे हैं। खैर, जनता भी इस बार सजग एवं सतर्क है और बहुत ही सोच-समझकर ही निर्णय लेने के मूड में है।
कल तक नहीं दिखते थे हाट पर, आज दिख रहे हैं घाट पर
कल तक जनता अपने माननीयों को ढूंढ़ने के लिए दर-दर की ठोकरें खाती थी। गांव के हाट पर भी माननीय नहीं दिखते थे। पंचायत चुनाव शुरू होते ही पंचायतों में नहीं दिखने या मिलने वाले हमारे माननीय घाटों पर पहुंच रहे हैं। यहां वर्तमान भी सहज दिख रहे हैं और भविष्य भी दिखाई पड़ रहा है। वर्तमान एक बार फिर से जनता-जनार्दन का आशीर्वाद प्राप्त कर कुर्सी बरकरार रखने को तो दूसरी ओर भविष्य यानी माननीय बनने की चाहत रखने वाले लोग। पंचायत से ही कुछ साथ आ रहे हैं तो कुछ यहां पहुंचकर हमदर्दी दिखा रहे हैं। हाथोंहाथ देखते ही देखते सारा काम हो जा रहा है। घाट पर लकड़ी से लेकर सारी व्यवस्था देखते ही देखते हो जा रही है। अपना खास दिखने एवं दिखाने के चक्कर में तो कई माननीय शोकाकुल परिवार के साथ स्नान भी कर रहे हैं, साथ ही और भी बहुत कुछ। साहब यही तो अपने लोकतंत्र की खूबसूरती है।
एंबुलेंस आने में बिलंब तो माननीय की वीआइपी गाड़ी है तैयार
गंभीर बीमारी की बात छोड़ दीजिए, अगर जनता-जनार्दन को हल्की खांसी-सर्दी एवं बुखार हो गई तो माननीय चिंतित हो जा रहे हैं। तुरंत एंबुलेंस को काल किया जा रहा है और आने में थोड़ा भी विलंब हुआ तो ड्राइवर को आदेश होता है। वीआइपी गाड़ी दरवाजे पर खड़ी हो जा रही है। ड्राइवर को आदेश होता है, डॉक्टर साहब के यहां लेकर जाओ। साथ में डाक्टर साहब की फीस के साथ दवा के भी पैसे। सचमुच ऐसा बदलाव, जैसे राम राज्य गया हो। इधर, नर्सिंग होम से लेकर सरकारी अस्पतालों तक ऐसे माननीयों की गाड़ी दिख रही है। गांव के जो मरीज कल तक सरकारी अस्पताल में ठोकर खाते दिखते थे, आज प्राइवेट में इलाज कराकर गर्व की अनुभूति कर रहे हैं। अपने जिले के एक माननीय ने तो अपने पंचायत के लोगों के लिए निजी कोष से एंबुलेंस ही खरीदकर जनता-जनार्दन की सेवा में दे दिया है।
गांव आने के लिए एक से बढ़कर एक आकर्षक आफर
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, पंजाब, हरियाणा... देश के किसी भी हिस्से में अगर आप काम कर रहे हैं और घर आने की इच्छा है तो तैयार रहिए। एक से बढ़कर एक आकर्षक आफर है। कोई आने-जाने के भाड़ा आफर कर रहा है तो कोई आने-जाने के भाड़े के साथ भोजन एवं नाश्ते का खास आफर भी दे रहा है तो कई दैनिक वेतन या मजदूरी की राशि भी जोड़कर देने की पेशकश कर रहा है। कई तो यहां तक पेशकश कर रहे हैं कि बस आ जाइए बाकी सारा इंतजाम यहां हो जाएगा। साहब ये वही लोग हैं जो गांव में काम नहीं मिलने को लेकर पलायन कर अपना घर-परिवार छोड़कर बाहर में मजदूरी कर रहे हैं। पंचायत चुनाव आते ही फिर एक बार सभी को सब्जबाग दिखाने का खेल शुरू हो गया है। बेचारी जनता मौन साधे इस बदलाव को देख-समझ रही है।