पटना विश्वविद्यालय में पीएचडी कोर्स का हाल रूला रहा विद्यार्थियों को, रिसर्च पर नहीं जा रहा ध्यान
बिहार के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित पटना विश्वविद्यालय की रिसर्च गतिविधि कम हो गई है। इसका खामियाजा यहां के छात्रों को उठाना होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से अनुसंधान मद में दी गई राशि खत्म होने के कगार पर है।
पटना, नलिनी रंजन। बिहार के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित पटना विश्वविद्यालय की रिसर्च गतिविधि कम हो गई है। इसका खामियाजा यहां के छात्रों को उठाना होगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से अनुसंधान मद में दी गई राशि खत्म होने के कगार पर है। पटना विवि की ओर से दो वर्ष से प्री-पीएचडी टेस्ट नहीं कराया गया है। इसके कारण रिसर्च गतिविधि ठप पड़ी है। पटना विवि की ओर से वर्ष 2018 की प्री-पीएचडी टेस्ट वर्ष 2019 में ली गई। परीक्षा परिणाम वर्ष 2020 जनवरी में जारी किया गया।
2018 के बाद अब तक परीक्षा की सुगबुगाहट भी नहीं
2018 के टेस्ट के लिए पीएचडी का कोर्स वर्क कराया गया। लेकिन, अब तक इनका रजिस्ट्रेशन नहीं होने से उनकी जेआरएफ के मिलनी वाली राशि लैप्स होने की संभावना है। इसके कारण वर्ष 2018 में पीएचडी की चाहत रखने वाले छात्र दो वर्ष तक आवेदन कर विवि में परेशान होते रहे। विवि की ओर से नियमानुसार हर वर्ष प्री-पीएचडी परीक्षा का आयोजन होना था। लेकिन, वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए परीक्षा के लिए कोई गतिविधि नहीं दिख रही है। इस दौरान जिन छात्रों का नेट या जेआरएफ हुआ है वह भी रजिस्ट्रेशन के ही इंतजार में है।
कोर्स वर्क के बाद की तिथि से होगी रजिस्ट्रेशन
यूजीसी की ओर से सभी विश्वविद्यालय को रिसर्च वर्क एवं जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) के लिए राशि दी जाती है। वर्ष 2018 के लिए शामिल हुए जेआरएफ अभ्यर्थियों का समय खत्म होने के कगार पर है। यूजीसी के द्वारा जेआरएफ की मान्यता दो वर्ष के लिए रहती है। वर्ष 2020 में कोर्स वर्क करने वाले छात्रों की जेआरएफ की समय सीमा खत्म हो रही है। जबकि अब तक उनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं हुआ है।
छह-छह महीने के लिए दिया जा रहा एक्सटेंशन
किसी विवि में अपने शोध का रजिस्ट्रेशन व शोध आरंभ करने के बाद शोधार्थियों की मांग पर छह-छह महीने के लिए एक्सटेंशन दी जाती है। पटना विवि के विकास पदाधिकारी प्रो. परिमल कुमार खान ने बताया कि छात्रों की समस्या पर कुलपति से बात हुई अब वर्ष 2020 में ही कोर्स वर्क के बाद में किसी एक तिथि से प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके बाद अभ्यर्थी यूजीसी में जेआरएफ राशि के लिए आनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकेंगे।
सहायक प्राध्यापक की नियुक्ति में पीएचडी को वेटेज
अब सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में पीएचडी को वेटेज देने की नियमावली बन चुकी है। राज्य में हो रही नियुक्ति में भी पीएचडी वाले को 30 अंकों की वेटेज दी जा रही है, लेकिन राज्य के विवि में शोध को लेकर प्री-पीएचडी व कोर्स वर्क की प्रक्रिया धीमी होने का खामियाजा भी स्थानीय अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है।