ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जा रहे बिहार के कपड़े; शेखपुरा के टेक्‍सटाइल इंजीनियर ने आपदा को अवसर में बदला

बिहार के गांव में गृहणियों के बने वस्त्र सात समुंदर पार पहन रहीं महिलाएं लाकडाउन में कंपनी ने काम से निकाला तो गांव में ही खोल दिया कारखाना दो दर्जन महिलाओं और एक दर्जन युवकों को राघव ने दिया रोजगार

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:52 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:52 PM (IST)
ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा जा रहे बिहार के कपड़े; शेखपुरा के टेक्‍सटाइल इंजीनियर ने आपदा को अवसर में बदला
बिहार के शेखपुरा से विदेश में निर्यात हो रहे कपड़े। जागरण

सनोज कुमार, शेखपुरा। आपदा को अवसर में बदलने की एक कहानी बिहार के शेखपुरा जिले में भी लिखी जा रही है। आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमंत्री की प्रेरणा से जिले के मेहूस गांव की महिलाएं बेहद ऊर्जान्‍व‍ित दिखती हैं। आज इस गांव की गृहणियों के द्वारा बनाए गए वस्त्र सात समुंदर पार दूसरी महिलाएं उपयोग कर रही हैं। ये कर दिखाया है टेक्सटाइल इंजीनियर राम राघव ने। इससे पहले वे गुडग़ांव में टेक्सटाइल इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे। लाकडाउन में कंपनी के द्वारा काम से निकाले जाने पर आई आपदा को राम राघव ने अवसर में बदल लिया और आत्मनिर्भर भारत का हिस्सा बन गए। उनकी इस पहल से दो दर्जन महिलाओं और एक दर्जन युवकों को रोजगार भी मिला है।

ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा में जा रहे  वस्त्र  

इसमें सबसे पहली परेशानी यहां के महिलाओं और युवकों को अति आधुनिक तरीके से वस्त्र की सिलाई का प्रशिक्षण देना था। इसके लिए राघव ने दो अनुभवी प्रशिक्षक को रखा। इसके बाद अपने अनुभव का लाभ उठाकर राम राघव ने दिल्ली की बड़ी कंपनी से समझौता किया और यहां वस्त्र निर्माण का काम शुरू कर दिया। यहां वस्त्र सिलाई के बाद उसे कंपनी को भेजा जा रहा है। कंपनी उसे अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, आस्ट्रेलिया इत्यादि जगहों पर निर्यात कर रही है।

आपदा को अवसर में बदल बना रोजगार दाता

राम माधव गुडग़ांव की कंपनी में टेक्सटाइल इंजीनियर के पद पर नौकरी कर रहे थे। तभी कोविड-१९ और लाकडाउन में कंपनी ने काम से निकाल दिया। फिर गांव आकर अति आधुनिक वस्त्र सिलाई मशीन को स्थापित किया। राघव कहते हैं कि 30 हजार वस्त्र प्रतिमाह निर्मित कर आपूर्ति करने का अनुबंध हुआ है। वर्तमान समय में उनके द्वारा प्रतिमाह 5000 वस्त्र  आपूर्ति की जा रही है।

गांव की महिलाओं को मिला रोजगार

इस काम में गांव की दो दर्जन महिलाओं को रोजगार मिला है। इसमें प्रीति कुमारी, नेहा कुमारी, कंचन कुमारी, हेमा कुमारी, अर्चना कुमारी इत्यादि ने बताया कि पहले वह घर में गृ्रहणी का काम करती थी। फिर उन्हें प्रशिक्षित किया गया और अब उनके द्वारा बनाए गए वस्त्र विदेशों में भेजे जा रहे हैं।

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