बिहार में लॉकडाउन ने बिगाड़ा 'हनुमान' का हाल, राजगीर की वादियों में कोरोना लेकर आया नया संकट

राजगीर कुंड क्षेत्र के मठ मंदिरों सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों की शोभा बढ़ाने और पर्यटकों का मनोरंजन करने वाले बंदरों का झुंड भूख से तड़पते हुए दिखाई देंगे। रत्नागिरी पर्वत स्थित रोप वे और विश्व शांति स्तूप पर बंदरों के साथ लंगूरों के भी झुंड का जमावड़ा लगा रहता है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:43 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:43 AM (IST)
बिहार में लॉकडाउन ने बिगाड़ा 'हनुमान' का हाल, राजगीर की वादियों में कोरोना लेकर आया नया संकट
नालंदा जिले के राजगीर में बंदरों का बुरा हाल। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

राजगीर (नालंदा), संवाद सहयोगी। इंसान तो इंसान अब बेजुबान जानवरों पर भी लॉकडाउन का असर दिखाई दे रहा है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी के विभिन्न पर्यटन स्थलों और मठ मंदिरों के समीप भूखे-प्यासे बंदरों का समूह इन दिनों उन घूमने आए लोगों के इंतजार में रहते हैं, जिनसे उन्हें खाने-पीने की वस्तुएं मिल जाया करती थीं। मगर लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद हो गए लोगों के कारण अब उन्हें भूख से तड़पते और भटकते देखा जा रहा है। सोन भंडार आदि समीप के जंगलों में फूल पत्तियों को चबाने पर मजबूर है। जिनकी संख्या लगभग पांच सौ से भी अधिक है। ये बंदरों का समूह अलग अलग झुंड बनाकर सड़कों पर विचरण करते देखे जा रहे हैं।

भूख से मर रहे बंदरों के बच्‍चे

भूख से बंदरों के नवजात बच्चों की मौत तक हो रही है। यही नहीं भूख से बेबस और बेचैन बंदरों का झुंड गुस्से में वेणुवन विहार, जय प्रकाश उद्यान तथा पांडू पोखर के विभिन्न पेड़ पौधों को क्षति भी पहुंचा रहे हैं। बीते वर्ष 2020 के दौरान कुछ समाजसेवियों द्वारा इनका भरपूर ख्याल रखा गया था। इस बार विभागीय और स्थानीय लोगों के स्तर पर किसी का भी ध्यान इन बंदरों पर नहीं है।

राजगीर कुंड क्षेत्र में भटक रहे बंदर

कोरोना संक्रमण महामारी फेज टू का असर देश भर के अलावे राजगीर पर्यटन नगरी में भी देखने को मिल रहा है। पूरे बिहार में लॉक डाउन है और इस लॉक डाउन का एक एक दिन इंसानों के साथ-साथ बेजुबान बंदरों पर भी भारी पड़ रहा है। राजगीर कुंड क्षेत्र के मठ मंदिरों सहित विभिन्न पर्यटन स्थलों की शोभा बढ़ाने और पर्यटकों का मनोरंजन करने वाले बंदरों का झुंड भूख से तड़पते हुए दिखाई देंगे। रत्नागिरी पर्वत स्थित रोप वे और विश्व शांति स्तूप पर बंदरों के साथ लंगूरों के भी झुंड का जमावड़ा लगा रहता है।

बंदरों के लिए नहीं दिख रहा कोई इंतजाम

अब लॉक डाउन के कारण विभिन्न पर्यटन स्थल और मठ मंदिर बंद है। वहीं पर्यटक सहित स्थानीय लोग भी अब घरों में कैद हैं। जहां लॉक डाउन से पहले प्रतिदिन घूमने आए लोग अपने साथ लाए खाने की सामग्रियां इन बंदरों को बड़े प्यार से परोसते थे। इन बेजुबानों की मदद को ना ही कोई सामाजिक संस्था आगे आ रही है और ना ही सरकारी या विभागीय स्तर पर कोई व्यवस्था की गई है। 

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