सीमांक ऐप से खुद कर सकेंगे जमीन की मापी, मध्य प्रदेश के उपायों को लागू करेगा बिहार

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने मंगलवार को जमीनी बातें शृंखला के तहत आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी दी। कार्यशाला में मध्य प्रदेश के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी भी शामिल थे।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 08:17 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 08:17 PM (IST)
सीमांक ऐप से खुद कर सकेंगे जमीन की मापी, मध्य प्रदेश के उपायों को लागू करेगा बिहार
बिहार में ऐप से कर सकेंगे जमीन की मापी। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : भूमि सुधार के लिए मध्य प्रदेश में किए जा रहे बेहतर उपायों को बिहार में भी लागू किया जाएगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने मंगलवार को जमीनी बातें शृंखला के तहत आयोजित कार्यशाला में यह जानकारी दी। कार्यशाला में मध्य प्रदेश के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। दो दिवसीय कार्यशाला के दौरान दोनों राज्यों ने भूमि सुधार के लिए अपने राज्यों में किए गए उपायों की चर्चा की। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि दोनों राज्य एक दूसरे के बेहतर प्रयासों से सीख लेंगे। 

अपर मुख्य सचिव ने कहा कि मध्य प्रदेश में ग्राम पटेल,कोटवार से लेकर डिप्टी कमिश्नर लैंड रिकार्ड तक के अधिकारियों का एक कैडर है। बिहार में डायरेक्टर लैंड रिकार्ड से नीच कोई सुव्यवस्थित कैडर नहीं है। सर्वे के समय बंदोबस्त पदाधिकारी, सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी आदि की तैनाती की जाती है। आम दिनों में लैंड रिकार्ड को लगातार अपडेट करने की समानांतर व्यवस्था यहां नहीं है। मध्य प्रदेश पैटर्न की बिहार में कोई उपयोगिता है या नहीं, विभाग इसपर भी विचार करेगा। 

मापी के लिए अमीन की जरूरत नहीं

कार्यशाला में मध्य प्रदेश के सीमांक ऐप पर चर्चा हुई। जीआइएस आधारित इस ऐप को मोबाइल में डाउनलोड कर जमीन की मापी की जा सकती है। इसके लिए अमीन की जरूरत नहीं है। हालांकि यह वैधानिक रूप से मान्य नहीं है। मध्य प्रदेश के लैंड रिकार्ड कमिश्नर ने बताया कि यह ऐप मध्य प्रदेश में बेहद लोकप्रिय है। रोजाना इस ऐप पर डेढ़ लाख हिट हो रहे हैं। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि हम इसके बिहार में इस्तेमाल की संभावना की तलाश करेंगे। 

कर्मचारी-अमीन का संयुक्त कैडर

राजस्व कर्मचारी-सह-अमीन के संयुक्त  कैडर बनाने की संभावना पर भी विचार हो रहा है। एमपी के आरसीएमएस पोर्टल पोर्टल की तर्ज एक पोर्टल और एक एप बनाने पर भी बिहार में विचार होगा। इसके जरिए बैंक ऋण के आवेदनों को आनलाईन स्वीकृति दी जाती है। रैयत को अलग से दस्तावेजों देने की जरूरत नहीं पड़ती। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि भूमि संपरिवर्तन का अधिकार एसडीएम के अलावा भूमि सुधार उप समाहर्ता देने पर भी विचार किया जा रहा है। कार्यशाला में तय किया गया कि राज्य में आज की जरूरत के हिसाब से जमीन से जुड़े कानून में बदलाव किया जाए। 

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