बिहार में अब मोबाइल पर एक क्लिक से सुलझ जाएंगे जमीन से जुड़े मामले, इस वेबसाइट का करें इस्तेमाल

साफ्टवेयर में सुधार के बाद अब आम लोग आसानी से विभाग की आनलाइन सेवाएं ले सकेंगे। म्यूटेशन के अलावा इससे जुड़े हर तरह के विवाद का निबटारा जल्द ही आनलाइन पद्धति से होगा। इससे पहले शिकायत मिल रही थी कि लोगों को अपनी जमाबंदी देखने में परेशानी हो रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 05:29 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 05:29 PM (IST)
बिहार में अब मोबाइल पर एक क्लिक से सुलझ जाएंगे जमीन से जुड़े मामले, इस वेबसाइट का करें इस्तेमाल
री लांचिंग के बाद भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट।

राज्य ब्यूरो, पटना: राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने आनलाइन म्यूटेशन के लिए बनी अपनी वेबसाइट को सुधार के बाद री लांच किया है। शनिवार को इसके लिए आयोजित समारोह में विभागीय मंत्री राम सूरत राय ने कहा कि साफ्टवेयर में सुधार के बाद अब आम लोग आसानी से विभाग की आनलाइन सेवाएं ले सकेंगे। म्यूटेशन के अलावा इससे जुड़े हर तरह के विवाद का निबटारा जल्द ही आनलाइन पद्धति से होगा। इससे पहले शिकायत मिल रही थी कि लोगों को अपनी जमाबंदी देखने में परेशानी हो रही है। अब वेबसाइट biharbhumi.bihar.gov.in से समस्याओं का निबटारा हो जाएगा। 

मंत्री ने कहा कि 2017 में आनलाइन म्यूटेशन की शुरुआत हुई। उसी समय से इसके साफ्टवेयर में सुधार की जरूरत महसूस की जा रही थी।  वेबसाइट की धीमी रफ्तार से दस्तावेजों की अपलोडिंग में बेवजह देरी होती थी। आवेदन को ट्रैक करने करने में परेशानी होती थी। एनआईसी ने इन दिक्कतों को चुनौती के तौर पर लिया। साफ्टवेयर में सुधार हो गया। उन्होंने कहा कि वेबसाइट को मोबाइल फ्रेंडली बनाया गया है। अब आसानी से रैयत अपने मोबाइल से विभाग की सभी सुविधाएं हासिल कर सकते हैं।     

आगे भी होगा सुधार

अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि काम करने में आसानी, आज के दौर का मूल मंत्र है। हमारी सफलता इसी में है कि आम जनता का काम बगैर किसी परेशानी के हो जाए। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की यह कोशिश इसी दिशा में एक अहम प्रयास है। हम आगे भी अपने अनुभवों से सीखेंगे और विभाग के वेबसाइट को सुधार करते रहेंगे। आनलाइन म्यूटेशन के लिए साफ्टवेयर बनाने से लेकर उसके रख रखाव का काम देखने वाली भारत सरकार की एजेंसी एनआईसी के राज्य सूचना विज्ञान पदाधिकारी राजेश कुमार सिंह ने बताया कि शुरू में इस साफ्टवेयर को झारखंड से लिया गया था। धीरे-धीरे उसमें बिहार की जरुरतों के हिसाब से जरूरी सुधार किया गया। अब इसे पूरी तरह से राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के लिए बना दिया गया है। 

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