लोजपा में परिवर्तन था जदयू का बड़ा मकसद, ललन सिंह और इन नेताओं ने लिखी बदलाव की कथा

लोजपा में नेतृत्‍व परिवर्तन तो एक शुरुआत है जिसकी भूमिका लिखने में नीतीश के करीबी और जदयू सांसद ललन सिंह की अहम भू‍मिका रही। बताया तो यह भी जा रहा है कि दो और जदयू नेताओं ने भी इसमें अहम रोल निभाए।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 04:50 PM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 04:50 PM (IST)
लोजपा में परिवर्तन था जदयू का बड़ा मकसद, ललन सिंह और इन नेताओं ने लिखी बदलाव की कथा
बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार। फाइल फोटो

पटना, ऑनलाइन डेस्‍क। Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में लोजपा के रुख से मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू को हुआ नुकसान तो शायद पूरा नहीं हो पाए, लेकिन उनका एक बड़ा मकसद पूरा हो गया है। लोजपा के सांसद जदयू और भाजपा के साथ गठबंधन में रहकर चुनाव जीते थे। अब वे फिर से डंके की चोट पर गठबंधन का हिस्‍सा बन जाएंगे। लोजपा में नेतृत्‍व परिवर्तन तो एक शुरुआत है, जिसकी भूमिका लिखने में नीतीश के करीबी और जदयू सांसद ललन सिंह की अहम भू‍मिका रही। बताया तो यह भी जा रहा है कि दो और जदयू नेताओं ने भी इसमें अहम रोल निभाए। यहां आप जान सकेंगे कि इस बदलाव की भूमिका कैसे लिखी गई और जदयू के नेताओं की इस पर क्‍या प्रतिक्रिया है।

जदयू के सांसद ललन सिंह ने निभाई प्रमुख भूमिका

लोजपा के बंगले में नई रोशनी लाने में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी और जदयू के सांसद ललन सिंह की सबसे प्रमुख भूमिका सामने आ रही है। इसकी चर्चा पहले से भी थी, जब दोनों नेताओं के बीच एक मुलाकात भी शायद हुई थी। लोजपा का नया राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनते ही पशुपति कुमार पारस ने अपने साथियों के साथ तुरंत ललन सिंह से उनके बंगले पर जाकर मुलाकात की। इससे यह बात पूरी तरह पक्‍की हो जाती है। वैसे इस पूरी कवायद को अंजाम देने में बिहार विधानसभा के उपाध्‍यक्ष और जदयू विधायक महेश्‍वर हजारी के साथ ही एक और नेता के भी मददगार होने की चर्चाएं चल रही हैं। अंदरखाने चल रही चर्चाओं के मुताबिक सूरजभान सिंह ने भी इस बदलाव में भूमिका निभाई।

चिराग पासवान के हठ ने दिया जदयू को मौका

दिवंगत नेता राम विलास पासवान से मिली विरासत को संभालने में चिराग पासवान चूक गए। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्‍होंने अपने पार्टी नेताओं की राय के उलट रणनीति बनाई। चुनाव में करारी हार के बाद भी चिराग ने अपने नेताओं को विश्‍वास में लेना उचित नहीं समझा और अपनी रणनीति पर कायम रहे, जबकि पार्टी के लगभग सभी नेता उनसे असहमत थे। यहां तक कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस जो उनसे पहले से राजनीति में हैं, उनको भी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के समर्थन में दिया बयान वापस लिये जाने को मजबूर किया गया।

जदयू ने पहले ही कब्‍जा लिया था इकलौता विधायक

बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के हाथ इकलौती सीट मटिहानी ही हाथ लगी थी। यहां के विधायक राज कुमार सिंह इसी साल सात अप्रैल को जदयू में शामिल हो गए। इसके साथ ही लोजपा विधायक दल का विलय जदयू में हो गया। बिहार विधान परिषद में भी लोजपा के पास केवल एक ही सीट थी। नूतन सिंह लोजपा की इकलौती विधान पार्षद थीं, जो इसी साल 22 फरवरी को भाजपा में शामिल हो गईं। उनके पति नीरज कुमार सिंह बबलू भाजपा के विधायक और बिहार सरकार में मंत्री हैं।

जानिए जदयू के किस नेता ने क्‍या कहा

लोजपा में बदलाव पर जदयू के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष आरसीपी सिंह ने कहा कि जो बोइएगा वहीं काटिएगा। कई लोग कामयाबी को पचा नहीं पाते। उनका इशारा चिराग की तरफ था। जदयू के प्रवक्‍ता निखिल मंडल ने एक पुराना वीडियो शेयर करते हुए कहा कि जो व्‍यक्ति अपने पिता की मौत का राजनीतिक फायदा उठाना चाहता हो वह देश और राज्‍य का क्‍या भला करेगा। डॉ. अजय आलोक ने कहा कि यह राजनीति में कोई नई बात नहीं है, लेकिन कुछ लोग अतीत से सबक नहीं लेते। उन्‍होंने कहा कि राजनीति में अब जो संतानें बची हैं, वे इससे सबक लेंगी। ऐसा नहीं किया तो हजार टुकड़े होंगे।

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