एथनाल के लिए देश की जरूरत पूरी कर सकता है बिहार, लेकिन अजब-गजब नीति ने फेरा उम्‍मीदों पर पानी

बिहार की योजना है कि वह उन राज्यों के लिए तय कोटे का एथनाल बनाए जहां इसे बनाए जाने को ले कच्चा माल नहीं है। बिहार के कच्चे माल पर वह निर्भर हैं। ऐसे में कच्चा माल ले जाने में उनकी लागत बढ़ेगी जबकि बिहार में बना एथनाल सस्ता होगा।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 01 Sep 2021 09:47 AM (IST) Updated:Wed, 01 Sep 2021 09:47 AM (IST)
एथनाल के लिए देश की जरूरत पूरी कर सकता है बिहार, लेकिन अजब-गजब नीति ने फेरा उम्‍मीदों पर पानी
बिहार में इथेनाल आधारित उद्योगों को दिया जा रहा बढ़ावा। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। पेट्रोलियम कंपनियों द्वारा राज्यों के लिए एथनाल क्रय का कोटा तय कर दिए जाने से बिहार में शुरू होने वाली नई एथनाल यूनिटों का मामला अटक गया है। उद्योग विभाग से उपलब्ध आंकड़े के अनुसार स्टेट इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड ने विगत तीन महीने में जिन एथनाल यूनिटों की स्थापना को स्टेज-1 क्लियरेंस दिया, उनकी समेकित क्षमता 665 करोड़ लीटर वार्षिक है। देश में एथनाल की वार्षिक खपत अभी 477 करोड़ लीटर है। वहीं पेट्रोलियम कंपनियों ने बिहार के लिए वार्षिक क्रय को केवल 14 करोड़ लीटर तय किया है। ऐसे में नई यूनिट का कोई स्कोप नहीं दिख रहा। नौ करोड़ लीटर एथनाल का उत्पादन पहले से यहां की यूनिट कर रही है। चार करोड़ लीटर क्षमता की यूनिट निर्माणाधीन है। ऐसे में एक करोड़ लीटर का मामला ही बच जाता है। इससे एथनाल से जुड़े अन्य यूनिट की संभावना भी क्षीण हो गई है।

जहां कच्चा माल नहीं, उसके कोटे का एथनाल बनाना चाहता है बिहार

उद्योग विभाग के अधिकारियों से जब इस संबंध में प्रश्न किया गया कि जब क्रय की मात्रा एक सीलिंग के तहत है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में एथनाल यूनिट के प्रस्ताव को स्टेज-1 क्लियरेंस दिए जाने का क्या मतलब? इस पर उद्योग विभाग का कहना है कि यूनिट लगाने का मानक यह नहीं है कि हम केवल उस क्षमता तक सीमित हो जाएं जितनी हमारी खपत है। बिहार की योजना है कि वह उन राज्यों के लिए तय कोटे का एथनाल बनाए, जहां इसे बनाए जाने को ले कच्चा माल नहीं है। बिहार के कच्चे माल पर वह निर्भर हैं। ऐसे में कच्चा माल ले जाने में उनकी लागत बढ़ेगी, जबकि बिहार में बना एथनाल अपेक्षाकृत सस्ता होगा।

इन राज्यों के तय कोटे को बिहार के लिए उपलब्ध कराने की मांग हो रही

उद्योग विभाग का कहना है कि बंगाल के 35 करोड़ लीटर, झारखंड के 18 करोड़ लीटर, असम के 10 करोड़ लीटर, मेघालय के चार करोड़ लीटर, मणिपुर के ढाई करोड़ लीटर, त्रिपुरा के दो करोड़ लीटर, अरुणाचल प्रदेश के दो करोड़, नागालैंड, मिजोरम व सिक्किम के एक-एक करोड़ लीटर के कोटे को बिहार अपने लिए चाहता है। यह तर्क दिया जा रहा कि उन राज्यों में मक्के का उत्पादन नहीं है। बिहार से ही वहां मक्का जाएगा। देश की जरूरत से 188 करोड़ लीटर अधिक के प्रस्ताव बिहार के पास देश में एथनाल की वार्षिक जरूरत 477 करोड़ लीटर की बिहार के पास प्रस्ताव आए हैं 665 करोड़ लीटर उत्पादन के बिहार के लिए केंद्र ने केवल 14 करोड़ लीटर का कोटा किया है तय जहां मक्के की उपलब्धता नहीं, उन राज्यों के कोटा चाहता है बिहार एक सौ किलोलीटर एथनाल उत्पादन में 260 मीट्रिक टन मक्के की आवश्यकता एथनाल यूनिट से जुड़ी है कई अन्य उद्योगों के आने की संभावना

दिल्ली को अपनी परिधि के ढाई सौ किमी के लिए अनुमति, बिहार को ऐसा नहीं

पेट्रोलियम कंपनियों ने राज्यों का जो कोटा तय किया है, उसमें भी कई तरह के पेच हैं। दिल्ली के लिए तय कोटे में कहा गया है कि वह अपने राज्य के बाहर के ढाई सौ किमी की परिधि में आने वाले राज्यों के लिए भी एथनाल बना सकता है। ऐसे में उसे पंजाब, उत्तर प्रदेश व हरियाणा का फायदा है। वहीं बिहार के लिए यह मानक बनाया गया है कि वह राज्य के भीतर की जरूरतों के हिसाब से ही उत्पादन कर सकता है।

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