कृषि क्षेत्र में बिहार को अग्रणी बनाने के लिए सरकार का महाभियान चलाने का निर्णय सराहनीय कदम
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 अक्टूबर को इसकी शुरुआत करेंगे। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यह महाभियान राज्य की कृषि व्यवस्था को एक नई राह देने में सक्षम होगा और साथ ही यहां के लोगों के लिए रोजगार का सृजन भी होगा।
पटना, राज्य ब्यूरो। कृषि क्षेत्र में बिहार को अग्रणी बनाने के लिए सरकार ने महाभियान चलाने का निर्णय लिया है, यह सराहनीय कदम है। इससे न सिर्फ कृषकों को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि उपज में भी वृद्धि की जा सकेगी। इस दिशा में किए जा रहे प्रयास को हर ओर से मजबूती प्रदान करने की जरूरत है, ताकि लक्ष्य की प्राप्ति में कोई अवरोध नहीं हो सके।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 अक्टूबर को इसकी शुरुआत करेंगे। यह उम्मीद की जानी चाहिए कि यह महाभियान राज्य की कृषि व्यवस्था को एक नई राह देने में सक्षम होगा। बिहार कृषि प्रधान राज्य है और यह इसकी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसे जितना मजबूत किया जाएगा, प्रगति की संभावना बढ़ती चली जाएगी। सरकार ने इस ओर एक और कदम बढ़ाया है। अब कृषि विज्ञानियों से लेकर अधिकारियों तक की जवाबदेही बनती है कि वे इसमें पूरे मनोयोग से जुट कर लक्ष्य तक पहुंचाएं। इस महाभियान के तहत कुल 45.10 लाख हेक्टेयर में रबी की खेती और 153.35 लाख मीटिक टन अनाज के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें भी 23 लाख हेक्टेयर में 72 लाख मीटिक टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित है, जो राज्य के लिए बड़ी सफलता होगी। यह नहीं भूलना चाहिए कि जब कोरोना काल में सब कुछ ठप पड़ गया था तो इसी कृषि ने आर्थिक रफ्तार की गति बनाए रखने में अहम भूमिका अदा की।
यहां की कृषि को मजबूत आधार मिलने से न सिर्फ लोग आर्थिक रूप से सबल हो सकेंगे, बल्कि स्थानीय स्तर पर ही रोजगार के कई अवसर भी पैदा हो सकेंगे। सरकार इस दिशा में भी प्रयासरत है, जिसे और तेज रफ्तार देने की जरूरत है, ताकि कृषि आधारित उद्योग-धंधे की स्थापना से यहां के लोगों के लिए रोजगार का सृजन हो सके। यह व्यवस्था भी की जानी चाहिए कि यहां उत्पादित अनाज के लिए स्थानीय स्तर पर बड़े पैमाने पर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी स्थापित हों, ताकि उसकी खपत यहां हो सके। इस पर केंद्र को भी ध्यान देना चाहिए।