बिहार के सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों की बढ़ीं मुश्किलें, हर महीने खर्च का हिसाब न देने पर कार्रवाई
सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ आनुशासनिक कार्रवाई हो सकती है। इसकी शुरुआत बिहार के योजना एवं विकास विभाग से हुई है। विभाग के अपर सचिव संजीव कुमार ने कहा है कि समय पर हिसाब नहीं देना कदाचार की श्रेणी में माना जाएगा।
राज्य ब्यूरो, पटना: हर महीने खर्च का हिसाब नहीं देने पर सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ आनुशासनिक कार्रवाई हो सकती है। शुरुआत योजना एवं विकास विभाग से हुई है। विभाग के अपर सचिव संजीव कुमार ने कहा है कि समय पर हिसाब नहीं देना कदाचार की श्रेणी में माना जाएगा। इसके लिए संबंधित लोगों पर आनुशासनिक कार्रवाई हो सकती है।
समय पर आंकड़ा नहीं मिलता
संजीव कुमार ने शुक्रवार को एक पत्र जारी किया है। यह योजना एवं विकास विभाग के क्षेत्रीय योजना पदाधिकारी, जिला योजना पदाधिकारी, स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन के अधीक्षण एवं कार्यपालक अभियंता को संबोधित है। पत्र में कहा गया है कि महालेखाकार कार्यालय एवं वित्त विभाग को विभिन्न प्रतिवेदनों के प्रकाशन के लिए आंकड़ों की जरूरत पड़ती है, लेकिन समय पर आंकड़ा नहीं मिलता है।
जानें क्या है नियम
अपर सचिव के पत्र के मुताबिक हरेक महीने के पहले सप्ताह में विभागों को यह बताना है कि पिछले महीने में कितना आवंटन मिला। उसमें से कितना खर्च हुआ। वित्तीय वर्ष के अंत में साल भर का समेकित प्रतिवेदन देना होता है। पत्र में इस बात पर नाराजगी जाहिर की गई है कि अधिसंख्य अधिकारी इस निर्देश का पालन नहीं करते हैं। जहां तक योजना एवं विकास विभाग का सवाल है, कई कार्यालयों से वित्तीय वर्ष 2020-21 का भी हिसाब नहीं मिला है।
संपत्ति का ब्योरा देने का जारी हो चुका है आदेश
बता दें कि पिछले महीने अगस्त में सरकार ने कहा था कि चल-अचल संपत्ति का ब्योरा नहीं देने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए बिहार सरकार ने आदेश जारी कर दिया था। इसके तहत पहले फेज में कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने की बात थी। वहीं सरकार ने कहा था कि जवाब संतोषप्रद नहीं हुआ मिला तो विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी। सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव चंचल कुमार ने विभागीय प्रधानों के नाम पत्र जारी करते हुए बताया था।